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यूरोप में स्कूल खुले, फ्रांस के प्रधानमंत्री बच्चों के साथ कक्षा में बैठे

यूरोप में स्कूल खुले, फ्रांस के प्रधानमंत्री बच्चों के साथ कक्षा में बैठे
, बुधवार, 2 सितम्बर 2020 (08:00 IST)
पेरिस। कोरोना वायरस महामारी के बावजूद विषमताओं को दूर करने और अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के मकसद से यूरोपीय और अन्य देशों में मंगलवार को स्कूल खोल दिए गए। फ्रांस, इजराइल, इंग्लैंड और रूस में स्कूल जाते बच्चों पर कोरोना वायरस के खतरे का असर साफ देखा गया।

फ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कैस्टेक्स प्राथमिक स्कूल में मंगलवार को बच्चों के साथ बैठे जबकि राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो डालकर बच्चों को शुभकामनाएं दीं।
 
स्कूलों को खोलने के साथ ही सुरक्षा के उपाय भी किए गए हैं। फ्रांस में 11 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी स्कूली बच्चों को पूरे दिन मास्क लगाए रखना है। यहां तक की आधी छुट्टी और संगीत कक्षाओं में भी उन्हें मास्क लगाए रखना है। बलकान के देशों में भी यही नियम लागू किए गए हैं, जबकि कुछ अन्य देशों ने मास्क के प्रति लचीला रुख अख्तियार किया है।
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वहीं कक्षाओं का नजारा भी पिछले साल से अलग था। मेजों पर प्लास्टिक की शील्ड लगी हुई थीं और दीवारों पर वायरस की चेतावनी देने वाले बोर्ड थे। अमेरिका में अधिकतर स्कूलों ने सिर्फ ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं जबकि यूरोप में स्कूलों को खोल दिया गया है। सरकारें यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि वायरस के बावजूद जिंदगी चलती रहेगी। कोविड-19 ने दुनिया भर में 2.5 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है जबकि 8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
 
ब्रिटेन में शिक्षा मंत्री गैविन विल्लियमसन ने माता-पिता को एक खुला पत्र भेजा जिसमें स्कूलों को बच्चों के लिए बेहतरीन स्थान बताया गया है। ब्रिटेन में हजारों बच्चे स्कूल गए। देश में बच्चों को स्कूल भेजने से मना करने पर माता-पिता पर जुर्माना लगाने की बात कही गई है। वहीं स्कूलों ने भी बच्चों के बीच संपर्क को कम करने के लिए उपाय किए हैं।
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फ्रांस के पेरिस में अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने आए जेरोम कॉन्टिनेंट ने कहा कि थोड़ा-बहुत डर तो है। हमें सतर्क रहना है और बच्चों को भी जिंदगी जीनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकारों को इस बात की सलाह दी है कि स्कूलों को सुरक्षित तरीके से कैसे खोला जाए। साथ में सोमवार को यह भी माना कि वायरस एक खतरा है, लेकिन स्कूलों को बंद रखने से बच्चों की मानसिक सेहत तथा सामाजिक विकास पर असर पड़ रहा है।
 
अफ्रीका तथा कई एशियाई देशों में स्कूल बंद हैं लेकिन चीन में स्कूल खुल गए हैं, जहां मंगलवार को नियमित छात्रों के आखिरी समूहों के लिए कक्षाएं शुरू हो गईं।

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