इस्लामाबाद। इसे कहते हैं 'घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने।' आतंकियों व सेना को प्रश्रय देने का परिणाम यह रहा कि पाकिस्तान बर्बादी की गर्त में जा पहुंचा। आर्थिक स्थिति दिन पर दिन बदतर होते जा रही है। इस सत्य से जी चुराते हुए इमरान खान भी अपने पूर्व के प्रधानमंत्रियों के रास्ते पर चलकर आतंकियों व सेना को पनाह देने का ही काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान गले-गले तक कर्ज में डूबता जा रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्ष 2000 से 2015 के बीच 15 वर्षों के दौरान औसतन 4.3 फीसदी की रेट से बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी कह दिया है कि अगर पाकिस्तान ने हालात को नहीं संभाला तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी।
दूसरी ओर पाकिस्तान लगातार कर्ज लेता जा रहा है। पाकिस्तान पर भारतीय मुद्रा में 6 लाख करोड़ से ज़्यादा का कर्ज है। कुल कर्ज 85 बिलियन डॉलर है।
चीन ने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी पाकिस्तान ने कर्ज ले रखा है। आईएमएफ ने इस साल जुलाई की रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक मोड़ पर है। आतंक के चले पाकिस्तान में कोई भी देश जल्दी निवेश करना पसंद नहीं करता है और यहां व्यापार करने का माहौल भी नहीं है। सरकारी कंपनियां भी पहले से घाटे में चल रही हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्ष 2000 से 2015 के बीच औसतन 4.3 फीसदी की रेट से ही बढ़ी है और उसकी ग्रोथ रेट सिर्फ 3 प्रतिशत ही रह सकती है तथा इन सबके बीच 9 प्रतिशत की महंगाई दर ने लोगों की तो कमर ही तोड़कर रख दी है।