वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सोमवार को बड़ा खुलासा करते हुए चांद की सतह पर पर्याप्त मात्रा में पानी होने की पुष्टी की है। चांद पर पानी उसी हिस्से में मिला है जहां सूरज की रोशनी पहुंचती है। इसे नासा की चांद पर मानव बस्तियां बसाने की योजना की दिशा में बड़ी सफलता माना जा रहा है।
पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है। इसका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा।
क्लेवियस क्रेटर में मिला पानी : पानी NASA के मुताबिक सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित, पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है। एजेंसी ने अपनी खोज के नतीजे नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
क्लेवियस क्रेटर में मिला पानी : पानी NASA के मुताबिक सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित, पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है। एजेंसी ने अपनी खोज के नतीजे नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
सहारा रेगिस्तान से 100 गुना कम पानी : रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है। हालांकि चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है।
क्या पीने योग्य है पानी : सवाल उठ रहा है कि क्या यह पानी पीने योग्य है। अगर चांद पर मिला पानी इंसान के इस्तेमाल के योग्य साबित हो जाता है तो इससे अंतरिक्षयात्रियों को बड़ी मदद मिलेगी। उन्हें अपने साथ कम मात्रा में पानी लेकर जाना होगा और वे अंतरिक्ष में अन्य जरूरी उपकरण साथ ले जा सकेंगे।
इस पहले हुए कुछ अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल (OH) की खोज नहीं हो सकी थी।