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जानिए Coronavirus कैसे इंसानी कोशिकाओं पर जमा लेता है कब्जा

जानिए Coronavirus कैसे इंसानी कोशिकाओं पर जमा लेता है कब्जा
, शनिवार, 13 फ़रवरी 2021 (19:04 IST)
बर्लिन। वैज्ञानिकों ने इंसानी प्रोटीन के उस हिस्से की पहचान की है, जिसका इस्तेमाल नया कोरोनावायरस (Coronavirus) मेजबान कोशिकाओं की प्रक्रियाओं पर कब्जा जमाने के लिए कर सकता है। यह अध्ययन कोविड-19 के उपचार के लिए उन्नत दवा विकसित करने में और सहायक हो सकता है।
 
जर्मनी की यूरोपियन मॉलीक्यूलर बायोलॉजी लेबोरेटरी (ईएमबीएल) के अनुसंधानकर्ताओं में भारतीय मूल के मंजीत कुमार भी शामिल हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण में शामिल इंटेग्रिन्स श्रेणी की तरह के इंसानी प्रोटीन बनाने वाले अमीनो अम्ल के अणुओं की श्रृंखला का विश्लेषण किया।
 
पूर्व में हुए अध्ययनों में पाया गया था कि कोविड-19 फैलाने वाला सार्स-सीओवी-2 विषाणु कोशिका की सतह पर एसीई2 रिसेप्टर और संभवत: इंटेग्रिन्स जैसे अन्य प्रोटीनों से जुड़कर एंडोसाइटोसिस नामक प्रक्रिया के तहत कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
 
‘साइंस सिग्नलिंग’ नामक पत्रिका में प्रकाशित मौजूदा अध्ययन में वैज्ञानिकों ने खास तौर पर अमीनो अम्लों की छोटी कड़ी पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जिन्हें लघु रैखिक विशेषताएं (SLIMS) कहा जाता है। ये कोशिकाओं के अंदर और बाहर सूचनाओं के संप्रेषण में शामिल होती हैं।
 
उन्होंने देखा कि कुछ इंटेग्रिन्स में SLIMS होते हैं जो संभव है पदार्थों को ग्रहण और निस्तारित करने की कोशिकीय प्रक्रियाओं में शामिल हों जिन्हें एंडोसाइटोसिस और ऑटोफेगी कहा जाता है।
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ईएमबीएल के अध्ययन के सह-लेखक बालिंट मेस्जारोस कहते हैं कि सार्स-सीओवी-2 अगर एंडोसाइटोसिस और ऑटोफेगी में शामिल प्रोटीन को निशाना बनाता है, तो इसका मतलब है कि संक्रमण के दौरान विषाणु द्वारा इन प्रक्रियाओं पर कब्जा जमाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन से कोविड-19 के उपचार को नया नजरिया मिल सकता है।
 
अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका लुसिया चेम्स बताती हैं कि SLIMS विषाणु के प्रवेश संकेतों को चालू या बंद करने के लिए ‘स्विच’ बन सकता है। इसका मतलब है कि अगर हम दवा का इस्तेमाल कर इन संकेतों को पलटने का तरीका खोज सकते हैं तो यह कोरोना वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सकता है।
 
इन नतीजों के आधार पर शोधकर्ताओं ने मौजूदा दवाओं की एक सूची तैयार की है जो एंडोसाइटोसिस और ऑटोफेगी में दखल दे सकती है। कुमार कहते हैं कि नैदानिक परीक्षणों में अगर इनमें से कुछ दवाएं कोविड-19 के खिलाफ कारगर मिलती हैं तो यह परिवर्तनकारी हो सकता है।
 

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