Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

भारत समेत दुनिया के पुरुषों में क्‍यों गिर रहा शुक्राणुओं की संख्‍या का ग्राफ?

Webdunia
शनिवार, 19 नवंबर 2022 (13:12 IST)
नई दिल्ली, अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) में अच्छी-खासी गिरावट पायी है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि शुक्राणुओं की संख्या न केवल मानव प्रजनन बल्कि पुरुषों के स्वास्थ्य का भी संकेतक है और इसके कम स्तर का संबंध पुरानी बीमारी, अंड ग्रंथि के कैंसर और घटती उम्र के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है।

उन्होंने बताया कि यह गिरावट आधुनिक पर्यावरण और जीवनशैली से जुड़े वैश्विक संकट को दर्शाता है, जिसके व्यापक असर मानव प्रजाति के अस्तित्व पर है।

पत्रिका ‘ह्यूमैन रिप्रोडक्शन अपडेट’ में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में 53 देशों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें सात वर्षों (2011-2018) के आंकड़ों का अतिरिक्त संग्रह भी शामिल है तथा इसमें उन क्षेत्रों में पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनकी पहले कभी समीक्षा नहीं की गई जैसे कि दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका।

आंकड़ों से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों में कुल शुक्राणुओं की संख्या (टीएससी) तथा शुक्राणु एकाग्रता में गिरावट देखी गई है जो पहले उत्तर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में देखी गई थी। इजराइल के यरुशलम में हिब्रू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेगई लेविन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘भारत इस वृहद प्रवृत्ति का हिस्सा है। भारत में अच्छे आंकड़ें उपलब्ध होने के कारण हम अधिक निश्चितता के साथ कह सकते हैं कि शुक्राणुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है, लेकिन दुनियाभर में ऐसा देखा गया है।’

लेविन ने कहा, ‘कुल मिलाकर हम दुनियाभर में पिछले 46 वर्ष में शुक्राणुओं की संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देख रहे हैं और हाल के वर्षों में यह तेज हो गई है।’ बहरहाल, मौजूदा अध्ययन में शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट की वजहों का पता नहीं लगाया गया है, लेकिन लेविन ने कहा कि भ्रूण के जीवन के दौरान प्रजनन पथ के विकास में बाधा प्रजनन क्षमता की आजीवन हानि से जुड़ी होती है।

लेनिन ने कहा, ‘जीवनशैली तथा पर्यावरण में रसायन भ्रूण के इस विकास पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं।’
अमेरिका में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर शाना स्वान ने कहा कि शुक्राणुओं की संख्या में कमी का असर न केवल पुरुषों की प्रजनन क्षमता से है बल्कि इसके पुरुष के स्वास्थ्य पर और अधिक गंभीर असर होते हैं।
Edited by navin rangiyal/ (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

Wayanad Election : प्रियंका गांधी ने घोषित की संपत्ति, जानिए कितनी अमीर हैं कांग्रेस महासचिव

cyclone dana : पश्चिम बंगाल-ओडिशा की तरफ तेजी से बढ़ रहा चक्रवात 'दाना', 5 राज्यों में NDRF की 56 टीम तैनात, 150 ट्रेनें रद्द

Jharkhand Election : झारखंड मुक्ति मोर्चा की दूसरी सूची जारी, रांची से चुनाव लड़ेंगी महुआ माजी

सार्वजनिक बयान देकर नियमों का किया उल्लंघन, विपक्ष ने जगदंबिका पाल पर लगाया आरोप

रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 31 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव, बोले CM डॉ. मोहन यादव, उपलब्ध संसाधनों हीरे की तरह तराशेंगे

આગળનો લેખ
Show comments