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कौन हैं सीआईए की नई मुखिया जीना हास्पेल

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गुरुवार, 10 मई 2018 (18:56 IST)
वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट की सलेक्ट डिफेंस कमिटी के सदस्यों के आड़े तिरछे सवालों के उत्तर देने और कन्फरमेशन के लिए लंबी जिरह के बाद सीआईए की वर्तमान कार्यकारी निदेशक जीना हास्पेल को समिति ने अमेरिका की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी का पहला महिला प्रमुख बनाने को स्वीकृति दे दी है।  
 
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को उनके पद से हटाकर उनकी जगह पर सीआईए के निदेशक माइक पोंपियो को नया विदेश मंत्री नियुक्त किया था। और पोंपियो की जगह पर जीना हास्पेल को सीआईए की ​नई निदेशक बनाया गया था। जीना हास्पेल अब सीआईए के इतिहास की पहली महिला प्रमुख होंगी।
 
विदित हो कि जब उन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीआईए प्रमुख के तौर पर नामित किया था तब इस कारण से डेमोक्रेट सांसदों ने तो उनकी नियुक्ति का खुलकर विरोध किया था। बुधवार को कैपिटल हिल पर सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी के सामने उनके कन्फर्मेशन (स्वीकृति) को लेकर काफी लंबी चौड़ी पूछताछ की गई है। उनसे सांसदों ने सवाल किए और उन्होंने इन सवालों का तर्कसम्मत तरीके से जवाब दिया।
 
जब उनसे पूछा गया कि अमेरिकी की सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ा खतरा क्या है, तो उनका कहना था कि एक वैश्विक ताकत के तौर चीन की भूमिका पर सख्‍त निगरानी की जरूरत है। उनका कहना था कि चीन हमेशा ही यह प्रयास करता रहा है कि अमेरिका का प्रभाव कम हो, न केवल प्रशांत महासागर में वरन सारी दुनिया में ऐसा किया गया। उनका कहना था कि चीन ने गलत कारोबारी नीतियों, खुली और छिपी नीतियों के बल पर अमेरिकी तकनीक, जानकारी और बौद्धिक सम्पदा की चोरी की। उनका कहना था कि एजेंसी इन सारे क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ाने का इरादा रखती है। यह उत्तर उन्होंने सीनेटर मार्क रूबियो के एक सवाल पर दिया था। 
 
जबकि अपनी टिप्पणियों में सीनेटर रूबियो का कहना था कि अमेरिकी की विदेश नीति दशकों तक इस विश्वास के साथ आगे बढ़ती रही है कि चीन एक न एक दिन साधन सम्पन्न होने पर, आर्थिक तौर पर मजबूत होने के साथ लोकतंत्र और वैश्विक कानूनों के शासन को स्वीकार करेगा, लेकिन सर्वसम्मति से लिया यह फैसला बहुत ही विनाशकारी साबित हुआ। 
 
आज चीन कई देशों के साथ मिलकर इस बात के प्रयास कर रहा है कि वह अमेरिका की जड़ें खोद दे और उसका स्थान ले ले। चीनी इतिहास के सबसे बड़े सम्पत्ति के हस्तांतरण से लाभान्वित हुए और उन्होंने चोरी, छल कपट से हमारी तकनीक और बौद्धिक सम्पदा से लाभ उठाया और वे हमारे औद्योगिक और तकनीकी आधार को कमजोर करने की कोशिशों में लगे रहे।
  
रूबियो के इस वक्तव्य के बाद हास्पेल का कहना था कि चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया ने बहुत ही आक्रामक और हमलावर साइबर कार्यक्रम चला रखा है। ये देश इस तरीके से रहस्यों की चोरी करते हैं और उनसे अवैध रूप से पैसा बनाते हैं। 
 
समिति की सुनवाई के दौरान हास्पेल ने कहा कि सीआईए पाकिस्तान के आतंकवादियों और वहां के परमाणु वैज्ञानिकों के गठजोड़ को लेकर चिंतित है। पाकिस्तान से जुड़ा सवाल सीनेटर जॉन कॉर्निन ने पूछा था। उन्होंने कहा कि हाल ही में मैंने एक पुस्तक पढ़ी और जाना कि अमेरिका पर आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति बुश को इन समाचारों ने बड़ी परे‍शानी में डाल दिया था कि ओसामा बिन लादेन और अल कायदा की उनके परमाणु कार्यक्रम को लेकर बैठक हो रही है। उन्हें इस बात की आशंका थी कि परमाणु तरीकों से वे अमेरिका के वाशिंगटन डीसी जैसे अन्य शहरों पर हमला करने का इरादा रखते हैं। 
 
बुधवार को सुनवाई के दौरान सीनेटर कॉर्नियन ने पूछा कि बिना कोई गोपनीय जानकारी दिए क्या आप इस बात को पुष्ट कर सकती हैं कि 9/11 के हमलों के बाद इस बात की भी चिंताएं जाहिर की गई थीं कि आतंकवादी परमाणु उपकरणों, जैविक हथियारों, सामूहिक विनाश के हथियारों का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक अमेरिकियों की हत्या करना चाहते थे। क्या आप और आपका देश उस समय पर इस तरह के वातावरण में काम कर रहा था। 
 
यह सीनेटर कॉर्नियन के इस सवाल के जवाब में हास्पेल का कहना था कि उस मोर्चे पर उस समय बहुत सारी गंभीर चिंताएं थीं। वास्तव में, अल कायदा उस तरह के कार्यक्रमों को चला रहा था और जैविक हथियारों को विकसित करने की योजना बना रहा था। उनका कहना था कि जो जासूस इस मामले का प्रभारी था, उसने खुद मुझे ये जानकारियां दी थीं।
 
लेकिन जीना से सबसे ज्यादा और कड़े सवाल प्रताड़ना के मुद्‍दे पर पूछे गए थे क्योंकि समिति के ज्यादातर सदस्यों का मानना था कि वे प्रताड़ना के तरीकों को पसंद करती हैं और उन्हें बढ़ावा देती हैं। 
 
करीब दो माह पहले जब राष्ट्रपति ट्रंप ने जीना हास्पेल को सीआईए के लिए अपनी पसंद बताया था कि तब वॉशिंगटन में इस बात को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी और यह सवाल पूछे जाने लगे थे कि क्या वे जांच एजेंसी चलाने लायक हैं? आपको इस बात की जानकारी दे दें कि जीना 33 वर्षों से एजेंसी में सक्रिय रही हैं लेकिन आतंकवादी हमलों के बाद विवादास्पद पूछताछ और कैद में रखने के एजेंसी के तौर तरीकों को लेकर खूब विवाद हुए और यह भी कहा गया कि एजेंसी के विवादास्पद तरीकों में उनकी भी मूमिका रही है। यह मामला इसलिए भी विवादास्पद रहा क्योंकि वे एजेंसी में समूचे कार्यकाल के दौरान एक खुफिया जासूस रही हैं।   
 
इस मामले को लेकर डेमोक्रेट सांसद उनके सर्वाधिक मुखर आलोचक रहे हैं। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि जब वे थाईलैंड में तैनात थीं तो उनका एक गोपनीय स्थान था जहां पर अल कायदा के दो आतंकवादियों को कड़ी यातनाएं दी गई थीं। माना जाता है कि आतंकवादियों से आतंकी योजनाओं संबंधी जानकारी जुटाने के लिए वे प्रताड़ना के विभिन्न तरीकों की पक्षधर रही हैं। हालांकि एजेंसी ने इस बात की कोई जानकारी नहीं दी है कि इन तकनीकों के इस्तेमाल में उनकी कोई भूमिका थी या नहीं। 
 
लेकिन, इस तथ्य के बावजूद के सैनिक अधिकारियों, प्रताड़ना रोधी संगठनों, धार्मिक नेताओं और अन्य गुटों का कहना था कि इस पद के लिए जीना के नाम पर विचार ही नहीं किया जाए। उनके खिलाफ इस तरह के माहौल को देखते हुए सीआईए को एक अभूतपूर्व जनसंपर्क अभियान चलाना पड़ा जिसमें उनके नाम पर विचार किए जाने के कारणों को बताया गया था। इतना ही नहीं, एजेंसी ने वर्ष 2011 के तत्कालीन उप निदेशक माइकल मोरेल का वह बयान भी सार्वजनिक कर दिया जिसमें कई मामलों में उनके समुचित कार्य करने का हवाला दिया गया था। 
 
सीआईए की दो पूर्व विश्लेषक सिंडी ओटिस और नदा बाकोस का कहना था कि हास्पेल के तीन दशक लम्बे करियर के बारे में जन सामान्य को जानकारी देना (विशेष रूप से तब जबकि वह एक अंडरकवर एजेंट रही हैं) उचित नहीं है। उनका कहना था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि वे सूचनाएं ही हासिल कर रहे हैं लेकिन क्या वे एजेंसी में काम करने वाले लोगों की नियुक्ति के बारे में बोल सकेंगे, संभवत: नहीं। हास्पेल के बारे में जानकारियां सार्वजनिक होने पर उन्होंने खुद ही कहा था कि उन्हें सीआईए के आतंकवाद रोधी केन्द्र में रखा जाए।   
 
लेकिन इन सारी बातों के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब अमेरिका पर आतंकवादी हमला हुआ था तब एजेंसी को कथित निरोधक और पूछताछ को लेकर बहुत कम अनुभव था और जब प्रताड़ना के मामले सार्वजनिक हुए तो 2002 में एजेंसी ने इन मामलों पर पुरी तरह ध्यान दिया और सुनिश्चित किया कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता अपनाई जाए। 
 
इतना ही नहीं, हास्पेल की सुनवाई से पहले चार डेमोक्रेटिक सीनेटरों, कैलिफोर्निया की डियान फीनस्टीन, कैलिफोर्निया की ही कमला हैरिस, ओरेगान के रॉन विडेन और न्यू मेक्सिको के मार्टिन हाइनरिख ने पिछले शुक्रवार को एजेंसी को एक पत्र लिखा और इसमें आग्रह किया कि उन्हें नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक डान कोट्‍स वांछित जानकारियों को डिक्लासीफाइ कर उपलब्‍ध कराएं।    
 
इन्हीं सांसदों के अनुरोध पर सीआईए ने 'हैंड कैरी' लिखे दो बक्सों को बुधवार की पूछताछ से पहले उपलब्ध कराया ताकि सीनेट की सलेक्ट कमिटी के इन सदस्यों को हास्पेल से पूछताछ के लिए प्रश्न बनाने में मदद मिले। इस कवायद का यह नतीजा रहा कि दो दिनों तक इन सांसदों ने जीना हास्पेल से कड़ी पूछताछ की और अंत में कहा कि वे उनकी सीआईए प्रमुख की नियुक्ति की पुष्टि करते हैं। 
 
इस तरह जीना हास्पेल अमेरिका की खुफिया एजेंसी की पहली पूर्णकालिक निदेशक बनने की पात्रता हासिल कर सकीं। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति ट्रंप की भी एक सफलता मानी जा सकती है क्योंकि ट्रंप ही पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने हास्पेल को सीआईए निदेशक बनाने का फैसला किया था।

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