दोहा। कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को बहुप्रतीक्षित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें कहा गया है कि अगर तालिबान अमेरिका की शर्तें मान लेता है तो नाटो अफगानिस्तान से अपनी सेना 14 माह के भीतर वापस बुला लेगा।
अमेरिका और तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद जारी एक बयान में कहा कि अगर तालिबान अमेरिका की शर्तें मान लेता है तो अमेरिका और नाटो 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सेनाओं को पूरी तरह वापस बुला लेगा।
बयान के अनुसार, समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका 135 दिनों के भीतर अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या में कमी कर इसे 8600 तक ले आएगा।
भारत ने किया स्वागत : भारत ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते एवं काबुल में अफगानिस्तान तथा अमेरिका की सरकारों की संयुक्त घोषणा का शनिवार को स्वागत किया। साथ ही कहा है कि भारत की नीति अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थितरता लाने वाले सभी अवसरों का समर्थन करना है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां मीडिया से कहा कि भारत की नीति अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थितरता लाने वाले सभी अवसरों का समर्थन करना है। इन अवसरों में अफगानिस्तान में हिंसा समाप्त होना, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के साथ संबंध समाप्त होना और अफगानिस्तान के नेतृत्व, स्वामित्व और नियंत्रण में एक स्थायी राजनीति समझौता होना है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सरकार, लोकतांत्रिक व्यवस्था और नागरिक समाज समेत पूरे राजनीतिक तंत्र ने इस अवसर का स्वागत किया है और इन समझौतों से शांति एवं स्थिरता की उम्मीद की है।
उन्होंने कहा कि भारत एक निकटवर्ती पड़ोसी देश के रूप में अफगानिस्तान में शांति स्थापना और समाज के सभी वर्गों के हितों की सुरक्षा करने वाले लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य के लिए अफगानिस्तान की सरकार और लोगों को सभी तरह की सहायता देना जारी रखेगा।
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