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कूनो में चीतों की अचानक मौत के बाद केंद्र सरकार ने मांगी थी रिलायंस वन्यजीव केंद्र से मदद

Cheetah

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शनिवार, 7 सितम्बर 2024 (17:20 IST)
After the sudden death of cheetahs in Kuno, the Central Government had sought help from Reliance Wildlife Center : मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पिछले साल महज 1 महीने में 3 चीतों की मौत के बाद, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मई 2023 में स्वास्थ्य निगरानी प्रोटोकॉल की समीक्षा के लिए गुजरात स्थित रिलायंस के वन्यजीव केंद्र के विशेषज्ञों की मदद मांगी थी। आधिकारिक रिकॉर्ड से यह जानकारी मिली है।
 
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सहायक वन महानिरीक्षक अभिषेक कुमार ने 11 मई 2023 को जामनगर में स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज के ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) के सीईओ को पत्र लिखकर विशेषज्ञों की एक टीम कूनो भेजने का अनुरोध किया था। इसका मकसद 27 मार्च से 9 मई के बीच 3 चीतों की मौत के बाद स्वास्थ्य निगरानी प्रोटोकॉल की समीक्षा कराना और चीतों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सलाह लेना था।
कुमार ने पत्र में कहा था कि प्रोजेक्ट चीता जंगली, बड़े मांसाहारी जीवों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित करने का पहला प्रयास है और इससे पहले ऐसा किए जाने का कोई उदाहरण नहीं है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इतनी बड़ी और जटिल परियोजना के सामने कई चुनौतियां आएंगी।
 
पत्र में कहा गया है कि सावधानीपूर्वक योजना तैयार किए जाने और उसे अमल में लाने के कारण सभी 20 चीते क्वारंटाइन, लंबी स्थानांतरण प्रक्रिया के बावजूद जीवित रहे। हमें पता चला है कि ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में विशेषज्ञ पशु चिकित्सक हैं, जो वहां पर्याप्त संख्या में मौजूद चीतों की देख-रेख कर रहे हैं।
जीजेडआरआरसी के निदेशक बृजकिशोर गुप्ता ने 24 मई, 2023 को जवाबी पत्र में कहा कि 4 सदस्यीय टीम 25-26 मई को कूनो का दौरा करेगी। टीम में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जॉर्ज फ्रांसिस्को सोरेस और नितिन यशवंत तांबे, प्रयोगशाला प्रभारी मनदीप और स्वयं गुप्ता शामिल थे।
 
ई-मेल के माध्यम से भेजे गए जवाब में गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने पिछले साल जीजेडआरआरसी से कूनो में चीतों के स्वास्थ्य देखभाल प्रोटोकॉल का आकलन करने का अनुरोध किया था। हमने विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों और निदेशक की अपनी टीम भेजी और पाया गया कि वे चीतों के स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन के लिए सही प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि जीजेडआरआरसी विशेषज्ञों ने केवल एक बार कूनो का दौरा किया था, लेकिन उन्होंने इस बात पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया कि क्या वे फिलहाल प्रोजेक्ट के लिए कोई मार्गदर्शन या सहायता प्रदान कर रहे हैं? पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण के तहत अब तक कुल 20 चीते कूनो में लाए जा चुके हैं। सितंबर 2022 में नामीबिया से 8 और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे।
 
भारत आने के बाद से 3 मादा और 5 नर समेत कुल 8 चीते मर चुके हैं। भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ है जिनमें से 12 जीवित हैं। इसके साथ ही कूनो में शावकों समेत चीतों की कुल संख्या 24 हो गई है। फिलहाल सभी चीतों को बाड़ों में रखा गया है। 27 मार्च से 9 मई 2023 के बीच 3 चीतों (1 नर और 2 मादा) की मृत्यु हो गई थी। जीजेडआरआरसी विशेषज्ञों के इस दौरे से ठीक पहले 23 मई से 25 मई के बीच नामीबियाई चीता ज्वाला के 3 शावकों की अत्यधिक गर्मी के कारण मौत हो गई थी।
भोपाल स्थित वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने जीजेडआरआरसी को इस परियोजना में शामिल किए जाने पर सवाल उठाया जबकि एनटीसीए, भारतीय वन्यजीव संस्थान, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के शीर्ष वन्यजीव विशेषज्ञ पहले से ही इसका हिस्सा हैं। उन्होंने पूछा कि सरकार ने मध्यप्रदेश वन्यजीव विभाग के कर्मचारियों को चीता प्रबंधन के प्रशिक्षण के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया भेजा था। उन्होंने क्या सीखा?
 
साथ ही उन्होंने कहा कि और यदि आपने जीजेडआरआरसी से संपर्क किया भी है तो इसे छिपाए क्यों रखा? प्रोजेक्ट चीता की वार्षिक रिपोर्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज के वन्यजीव सुविधा केंद्र से मांगे गए सहयोग का कोई उल्लेख नहीं है। चीता परियोजना निगरानी समिति की बैठकों के विवरण, जो आरटीआई आवेदन के माध्यम से प्राप्त हुए हैं, में भी इस भागीदारी का उल्लेख नहीं है।(भाषा)
Edited by: Chetan Gour

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