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Boycott Starbucks क्यों कर रहा ट्रेंड, जानिए पूरी जानकारी

अर्पित से अर्पिता, बस नाम में एक अक्षर ही तो जुड़ा है- इस एड पर हुआ हंगामा

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Starbucks Transgender Ad
 
Boycott Starbucks India : एक हाथ में स्टारबक्स की कॉफ़ी और दूसरा हाथ आपके लैपटॉप पर, साइड व्यू के लिए सिटी का नज़ारा और आपकी फेवरेट प्लेलिस्ट! सुनने में ही कितना एस्थेटिक(aesthetic) लगता है न? जनरेशन ज़ी के लिए स्टारबक्स(starbucks) की कॉफ़ी पीना यानि एस्थेटिक वाइब्स मैच (aesthetic vibes match) करना है। स्टारबक्स यंग जनरेशन में काफी ज़्यादा पॉपुलर है और अपनी ऑडियंस को टारगेट करते हुए स्टारबक्स ने हाल ही में एक विज्ञापन पब्लिश किया है जिसे लेकर भारत में बॉयकॉट स्टारबक्स ट्रेंड(boycott starbucks trend) करने लगा है।
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Your name defines who you are - whether it's Arpit or Arpita. At Starbucks, we love and accept you for who you are. Because being yourself means everything to us. #ItStartsWithYourName. pic.twitter.com/DKNGhKZ1Hg

— Starbucks India (@StarbucksIndia) May 10, 2023 >
दरअसल 10 मई को स्टारबक्स इंडिया(starbucks India) ने ट्रांसजेंडर से संबंधित एक विज्ञापन जारी किया जिसमें स्टारबक्स की कॉफीशॉप में पेरेंट्स अपनी ट्रांसेंडेर बेटी (जिसने अपना जेंडर परिवर्तित करवाया है) का इंतज़ार कर रहे हैं। विज्ञापन में पिता नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद अर्पिता की एंट्री होती है जिसमें अर्पिता और उसके माता-पिता की बात-चीत को दिखाया गया है। अर्पिता और उसकी मां को लगता है कि अर्पिता के पिता उसे एक्सेप्ट नहीं करेंगे पर कॉफ़ी ऑर्डर करते समय अर्पिता के पिता स्टारबक्स की कॉफ़ी के कप में 'अर्पित' की जगह 'अर्पिता' लिखवाते हैं और कहते हैं "तू तो अभी भी मेरा बच्चा है बस तेरे नाम में एक अक्षर ही तो जुड़ा है।"

इस विज्ञापन के पब्लिश होने के बाद कई लोगों ने इस विज्ञापन को एक्सेप्ट(accept) नहीं किया।
  • ट्विटर के एक यूजर ध्यान बाथम ने कहा "ये अमेरिकन कांसेप्ट है, आप किसी विज्ञापन के ज़रिए इंडियन कल्चर को बदल नहीं सकते हैं।"
  • दूसरी तरफ संजीव वर्मा ने कहा "भारत में ट्रांस्फोबिअ को लेकर अत्यधिक मिथ हैं, इन मिथ को बदलने के लिए ये काफी अच्छा विज्ञापन है।"
स्टारबक्स कंपनी का इतिहास क्या है?
स्टारबक्स एक अमेरिकन कंपनी है और दुनिया की सबसे बड़ी कॉफीहाउस चैन भी है। स्टारबक्स की शुरुआत 30 मार्च 1971 को वाशिंगटन के सीएटल शहर में हुई थी। रोचक बात तो ये है कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ सैन फ्रांसिस्को के स्टूडेंट जेरी बाल्डविन, ज़ेव सिएगल और गॉर्डन बोकर द्वारा स्टारबक्स खोला गया था। स्टारबक्स अपने शुरूआती 10 सालों में कॉफ़ी बीन्स ही बेचता था।
 
2018 में भी चला था बॉयकॉट स्टारबक्स का ट्रेंड
2018 में भी अमेरिका में बॉयकॉट स्टारबक्स काफी ट्रेंड किया था। सिर्फ इंटरनेट ही नहीं बल्कि लोगों ने कई प्रोटेस्ट भी किए थे। दरअसल 2018 में दो ब्लैक मैन अमेरिका के फ़िलेडैल्फ़िया शहर के स्टारबक्स कॉफ़ी शॉप के बहार अपने दोस्त का इंतज़ार कर रहे थे। कॉफीशॉप के बहार इंतज़ार करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद अमेरिका में काफी ज़्यादा प्रोटेस्ट हुआ और कई लोग इंटरनेट पर दूसरे ब्रांड की कॉफ़ी की फोटो अपलोड कर #boycottstarbucks का टैग इस्तेमाल करने लगे।

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