रोबोट इंसान की दुनिया में प्रवेश करते जा रहे हैं। मनुष्य का जीवन दिनोदिन आभासी बनता जा रहा है। अब मनुष्य के कई काम रोबोट करते थे, लेकिन अब रोबोट चुनाव लड़कर नेता भी बनेंगे। अगर भारत की बात की जाए तो यहां तो नेता चुनाव जीतने के बाद 'रोबोट' ही होते हैं। वोट के लिए वे जनता-जर्नादन के सामने घिघियाते नजर आते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद 'रोबोट' की तरह कुर्सी पर चिपक जाते हैं।
खैर, बात हो रही है न्यूजीलैंड की। यहां वैज्ञानिकों ने एक रोबोट को ही नेता बना दिया है। इस रोबोट में वे सारी विशेषताएं होंगी, जो एक नेता में होती हैं। दुनिया में इस तरह का पहला रोबोट होगा। अच्छा है कि न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक भारतीय नेताओं की विशेषताएं इस रोबोट में न फिट करें, वरना तो भगवान ही मालिक है।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला कृत्रिम बुद्धि वाला राजनीतिज्ञ रोबोट विकसित किया है, जो आवास, शिक्षा, आव्रजन संबंधी नीतियों जैसे स्थानीय मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब दे सकता है। इस रोबोट को 2020 में न्यूजीलैंड में होने वाले आम चुनाव में लड़ाने की तैयारियां भी की जा रही हैं।
इस आभासी राजनीतिज्ञ का नाम ‘सैम’ (एसएएम) रखा गया है और इस रोबोट के 'ब्रह्मा' हैं- न्यूजीलैंड के 49 वर्षीय उद्यमी निक गेरिट्सन। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि फिलहाल राजनीति में कई पूर्वाग्रह हैं। लगता है कि दुनिया के देश जलवायु परिवर्तन एवं समानता जैसे जटिल मुद्दों का हल नहीं निकाल पा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धि वाला राजनीतिज्ञ फेसबुक मैसेंजर के जरिए लोगों को प्रतिक्रिया देना लगातार सीख रहा है।
गेरिट्सन मानते हैं कि एल्गोरिदम में मानवीय पूर्वाग्रह असर डाल सकते हैं, लेकिन उनके विचार से पूर्वाग्रह प्रौद्योगिकी संबंधी समाधानों में चुनौती नहीं है। ‘टेक इन एशिया’में छपी खबर के मुताबिक प्रणाली भले ही पूरी तरह सटीक न हो, लेकिन यह कई देशों में बढ़ते राजनीतिक एवं सांस्कृतिक अंतर को भरने में मददगार हो सकती है। न्यूजीलैंड में साल 2020 के आखिर में आम चुनाव होंगे। गेरिट्सन का मानना है कि तब तक ‘सैम’ एक प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरने के लिए तैयार हो जाएगा। अब इंतजार है उस दिन का जब ऐसे 'आभासी नेता' भारत में आएं और भ्रष्टाचार व महंगाई से मुक्ति मिले।