Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

वीर रस से ओतप्रोत थीं सुप्रसिद्ध कवयि‍त्री सुभद्रा कुमारी चौहान की 'झांसी वाली रानी' कविता

Webdunia
सोमवार, 16 अगस्त 2021 (11:44 IST)
'खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' इस कविता को खूब दोहराया गया है। इस कविता को बोलने मात्र से ही मन जोश से भर जाता है और आवाज भी बुलंद हो उठती है। सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा यह कविता लिखी गई थी । उनकी यह लिखी हुई कविता हर बच्चे के मुंह पर तोते की भांति रटी हुई है। यह कविता सिर्फ कागज पर ऐसे ही नहीं उतारी गई बल्कि सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने जज्बे को उतारा है। अपनी इस कविता के बाद से सुभद्रा कुमारी चौहान को अलग पहचान मिली। साथ ही वह साहित्य की दुनिया में अमर हो गई। आज कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती है। आइए जानते हैं उनके बारे में -
 
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय
 
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 इलाहाबाद के निहालपुर में हुआ था। उनके पिता रामनाथ सिंह जमींदार थे। वह पढ़ाई को लेकर जागरूक थे। अच्‍छे कामों की पहले भी की उन्‍होंने। इतना ही नहीं वह सुभद्रा कुमारी को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। सुभद्रा को बचपन से ही लिखने का शौक था। मात्र 8 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी 'नीम'। सुभद्रा पढ़ाई में भी अव्वल थीं। स्कूल में भी शिक्षकों की पसंदीदा छात्रा थी।
 
खंडवा के नाटककार से हुई शादी
 
सुभद्रा कुमारी चौहान की शादी मप्र के खंडवा के रहने वाले लक्ष्मण सिंह के साथ 1919 में हुई। लक्ष्मण सिंह एक नाटककार थे। शादी के कुछ समय बाद वे जबलपुर पलायन कर गए। लक्ष्मण सिंह अपनी पत्नी सुभद्रा को हमेशा सपोर्ट करते थे। शादी के बाद भी सुभद्रा ने अपने सभी कार्यों को जारी रखा। शादी के कुछ साल बाद वह सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुई। गौरतलब है कि, सुभद्रा कुमारी चौहान महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला थीं। कई बार जेल में भी रात गुजारी। अपने सामाजिक और राजनीति कार्यों के साथ अपने 5 बच्चों को भी संभालती थी। बता दें कि लक्ष्‍मण सिंह और सुभद्रा कुमारी ने मिलकर कांग्रेस के लिए भी कार्य किया था। 
 
विदेशी छोड़ स्वदेशी अपनाने की पहल 
 
1920-21 में सुभद्रा और लक्ष्मण सिंह दोनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे। वह दोनों घर - घर जाकर कांग्रेस के संदेश को पहुंचाते थे। सुभद्रा को कपड़ों और गहनों को बहुत शौक था। लेकिन वह विदेशी कपड़ों के खिलाफ थी। और विदेशी चीजों का बहिष्कार करने के लिए अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करती थी। 1921 में सुभद्रा कुमारी और उनके पति महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। 1923 और 1924 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर कई दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली सुभद्रा कुमारी पहली महिला थीं। रोज सभा को संबोधित भी करती थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें 'लोकल सरोजिनी' कहा जाने लगा था। 
 
मात्रा 43 वर्ष की उम्र में निधन
 
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का  43 वर्ष की आयु में 15 फरवरी 1948 को देहांत हो गया था। अपनी मृत्यु के बारे में वह कहती थीं कि 'मेरे मन में तो मरने के बाद भी धरती छोड़ने की कल्पना नहीं है। मैं चाहती हूं, मेरी एक समाधि है, जिसके चारों ओर नित्य मेला लगता रहे,बच्चे खेलते रहे और स्त्रियाँ गुनगुनाती रहे - गाती रहें। इस तरह याद किया जाता है 
 
सुभद्रा कुमारी चौहान ने कम उम्र में ही बहुत कुछ देख और समझ लिया था। देश को आजाद कराने में भी उनकी अहम भूमिका रहीं। इंडियन कोस्‍ट गार्ड शिप ने सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम को भारतीय तटरक्षक जहाज में शामिल किया। मप्र सरकार ने जबलपुर के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफिस के बाहर उनकी मूर्ति स्थापित की है। 6 अगस्त 1976 को उनके सम्मान में पोस्ट स्‍टाम्‍प भी जारी किया।  
 
 
सुभद्रा कुमारी की प्रमुख कविताएं
 
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं अक्सर वीर रस से ओतप्रोत रहती हैं। जलियांवाला बाग वसंत के दौरान उन्‍होंने इस अंदाज में कागज के पन्नों पर उतारा था।
 
 
परिमलहीन पराग दाग-सा बना पड़ा है
हा ! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
आओ प्रिय ऋतुराज? किंतु धीरे से आना
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा-खाकर
कलियाँ उनके लिए गिराना थोड़ी लाकर।
 
 
नीम 
 
सब दुखहरन सुखकर परम हे नीम! जब देखूँ तुझे।
तुहि जानकर अति लाभकारी हर्ष होता है मुझे॥
 
ये लहलही पत्तियाँ हरी, शीतल पवन बरसा रहीं।
निज मंद मीठी वायु से सब जीव को हरषा रहीं॥
 
हे नीम! यद्यपि तू कड़ू, नहिं रंच-मात्र मिठास है।
उपकार करना दूसरों का, गुण तिहारे पास है॥
 
नहिं रंच-मात्र सुवास है, नहिं फूलती सुंदर कली।
कड़ुवे फलों अरु फूल में तू सर्वदा फूली-फली॥
 
तू सर्वगुणसंपन्न है, तू जीव-हितकारी बड़ी।
तू दु:खहारी है प्रिये! तू लाभकारी है बड़ी॥
 
है कौन ऐसा घर यहाँ जहाँ काम तेरा नहिं पड़ा।
ये जन तिहारे ही शरण हे नीम! आते हैं सदा॥
 
तेरी कृपा से सुख सहित आनंद पाते सर्वदा॥
तू रोगमुक्त अनेक जन को सर्वदा करती रहै।
 
इस भांति से उपकार तू हर एक का करती रहै॥
प्रार्थना हरि से करूँ, हिय में सदा यह आस हो।
 
 
जब तक रहें नभ, चंद्र-तारे सूर्य का परकास हो॥
तब तक हमारे देश में तुम सर्वदा फूला करो।
 
निज वायु शीतल से पथिक-जन का हृदय शीतल 
 
 
 
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

पपीते का ये हिस्सा जिसे बेकार समझकर फेंक देते हैं, फायदे जानकर आज से ही करने लगेंगे स्टोर

આગળનો લેખ
Show comments