भाषाई पत्रकारिता आज भी प्रभावी : जगदीश उपासने
मराठीभाषी लेखकों और पाठकों का सम्मेलन शुरू
इन्दौर। पत्रकारिता में संपादक की सत्ता समाप्त होती जा रही है, क्योंकि मीडिया ने एक उद्योग का रूप प्राप्त कर लिया है। प्रिंट मीडिया के सामने सोशल मीडिया चुनौती बनकर खड़ा है। समाज को संस्कारित करने में मीडिया आज महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा पा रहा है।
ये विचार और निष्कर्ष मराठीभाषी पत्रकारों और लेखकों के हैं, जो उन्होंने 'पत्रकारिता का बदलता स्वरूप चुनौतियां और सामाजिक प्रतिबद्धता' विषय पर बेबाकी के साथ व्यक्त किए। मौका था मध्यप्रदेश मराठी अकादमी इंदूर, लिवा क्लब इंदूर और मध्यप्रदेश मराठी साहित्य संघ भोपाल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन (लिवा सतत संवाद) के शुभारंभ अवसर पर आयोजित परिसंवाद का।
श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति सभागृह में शनिवार से शुरू हुए इस दो दिवसीय आयोजन की शुरुआत परिसंवाद से हुई, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार सुभाष रानाडे, अजय बोकिल, मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत सोनवलकर, सुश्री जयश्री पिंगले, सोनाली नरगुंदे, अर्पणा पाटील (ग्वालियर) ने भाग लिया। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने (नई दिल्ली) ने की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उपासने ने कहा कि पत्रकारिता के स्वरूप में आज तेजी से परिवर्तन हो रहा है। उसके समक्ष कई चुनौतियां हैं, हालांकि भाषाई पत्रकारिता आज भी प्रभावी है। मलयालम मनोरमा की पाठक संख्या आज भी देश में सर्वाधिक है। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया को आज अपनी शक्ति का अहंकार हो गया है। सोशल मीडिया से उसे चुनौती मिल रही है। आज मीडिया में सकारात्मक परिवर्तन की जरूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल ने कहा कि आज इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को चुनौती सोशल मीडिया से मिल रही है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। मीडिया और समाज दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, इसे हमें समझना होगा।
सुभाष रानाडे ने कहा कि मीडिया पर कॉर्पोरेट घराने का कब्जा बढ़ता जा रहा है और संपादक की हैसियत कम होती जा रही है। यह भी एक बड़ी चुनौती है। जयश्री पिंगले ने कहा कि दुनिया में भारतीय मीडिया 136वें नंबर पर है, जो हम सबके लिए चिंताजनक है। मीडिया को अपनी निष्पक्षता पर अधिक काम करना होगा।
डॉ. जयंत सोनवलकर ने कहा कि पत्रकारिता में विश्वसनीयता का होना जरूरी है। अर्चना पाटील ने कहा कि मीडिया अपराध की खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना बंद करे और सकारात्मक खबरें अधिक दें। सोनाली नरगुंदे ने कहा कि पत्रकारों को प्रशिक्षण की अधिक जरूरत है।
सूत्रधार जयदीप कर्णिक ने कहा कि आज का मीडिया बाजारवाद की गिरफ्त में है, लेकिन मीडिया में काम करने वाले कुछ अच्छे पत्रकार भी हैं, जिसके कारण मीडिया आज बचा हुआ है।
अतिथि स्वागत मधुकर निरखीवाले, अरविन्द जवलेकर, मिलिंद देशपांडे, विश्वनाथ शिरढोणकर, हरेराम वाजपेयी ने किया। कार्यक्रम का संचालन जयदीप कर्णिक ने किया और आभार माना अश्विन खरे ने। कार्यक्रम में प्रदेशभर के मराठी भाषी लेखक एवं पाठक भाग ले रहे हैं।
11 फरवरी को सम्मेलन व्याख्यान में पुस्तक विमोचन, मराठी काव्य सम्मेलन तथा कथा कथन आदि कार्यक्रम होंगे। अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार, पटकथा लेखक डॉ. सुधीर निकम (मुंबई) करेंगे।