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शहर की बदहाल परिवहन व्यवस्था पर सार्थक मंथन

शहर की बदहाल परिवहन व्यवस्था पर सार्थक मंथन
, बुधवार, 24 जनवरी 2018 (20:58 IST)
इंदौर। शहर की लोक परिवहन और यातायात व्यवस्था को लेकर अनेक विषय विशेषज्ञों से लेकर बरसों से यातायात व्यवस्था को सुधारने-संवारने के लिए प्रयास कर रहे गणमान्य नागरिकों ने मंगलवार को एक विचारगोष्ठी की शक्ल में शहर की मौजूदा स्थिति पर कहीं चिंता जताई तो कहीं समाधान भी सुझाए। संस्था सेवा सुरभि की पहल पर ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ अभियान के तहत यह अभिनव कोशिश की गई।
 
 
अधिकांश वक्ताओं का मानना था कि आबादी के मान से शहर बहुत विस्तार पा चुका है लेकिन लोक परिवहन के साधन बहुत कम हैं। बीआरटीएस सबके निशाने पर रहा। बढ़ती दुर्घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की गई और यातायात नियमों के पालन के प्रति गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के उदाहरण भी दिए गए। इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा में किसी भी सरकारी विभाग के अधिकारी ने आने की जहमत नहीं उठाई।
 
 
साउथ तुकोगंज स्थित होटल कलिंगा में आयोजित इस विचारगोष्ठी का विषय था- ‘शहरी परिवहन और इंदौर का विकास’। गोष्ठी की अध्यक्षता की वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने। सभी वक्ताओं ने बीआरटीएस के निर्माण, उपयोग और सड़कों से लेकर यातायात पुलिस की भूमिका पर भी अपनी चिंताएं व्यक्त कीं, लेकिन किसी भी सरकारी विभाग का कोई अधिकारी बुलाने के बाद भी नहीं आया। 
 
 
जयदीप कर्णिक ने अपने अध्यक्षीय उद्‍बोधन में कहा कि गोष्ठी में अच्छी बातें हुईं, सुझाव भी अच्छे सामने आए, लेकिन शहर की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और पुलिस अधिकारी बुलाने के बावजूद नहीं आए, यह दुखद है। 
 
 
उन्होंने कहा कि बायपास को दरअसल बायपास कहना ही गलत है क्योंकि वहां पूरे शहर का ट्रैफिक होता है। साइकल चलाने वालों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसे में दुर्घटना का डर बना रहता है। इन व्यवस्थाओं में सुधार होना चाहिए। गोष्ठी आए सुझावों का प्रतिवेदन बनाकर प्रशासन और पुलिस को सौंपना चाहिए, साथ ही व्यवस्था सुधारने के लिए उन पर दबाव भी बनाना चाहिए।
 
यातायात पुलिस, आईडीए, नगर निगम, ग्रामीण एवं नगर नियोजन जैसे सरकारी विभागों का कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं था, किंतु वरिष्ठ यातायात विशेषज्ञ जगतनारायण जोशी ने कहा कि यातायात नियमों का पालन धर्म है और उनका उल्लंघन पाप। यातायात के नियम हमारी सुरक्षा के लिए ही बने हैं।
 
 
निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से अनिल धूपर ने कहा कि सारा दोष स्कूल संचालकों पर ही नहीं डाला जाना चाहिए। यदि स्कूल बसें बंद हो जाएंगी तो पालकों के पास कोई वैकल्पिक साधन नहीं हैं। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर सतीश गर्ग, जीएसआईटीएस के प्रो. एचएस गोलिया, प्रो. सुनील अजमेरा, प्रो. वंदना तारे, आईपीएस कॉलेज के अरविंद जोशी, प्रो. नरूका आदि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए और तकनीकी स्तर पर भी सडक़ों से लेकर वाहनों के रखरखाव पर ध्यान देने की बात कही।
 
 
प्रो. ओपी जोशी ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाए वहीं पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने शहर को उपनगरों में बांटने का सुझाव दिया। पद्मश्री जनक पलटा ने स्मार्ट फोन के उपयोग को प्रतिबंधित करने और दोषी वाहन चालकों को सख्ती से दंडित करने की बात कही। गोविंद मंगल ने फुटपाथों के दुरुपयोग की तरफ ध्यान दिलाया और कहा कि पैदल और साइकिल चालकों के लिए शहर में कोई जगह है ही नहीं।
 
 
वरिष्ठ अभिभाषक अनिल त्रिवेदी ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया कि खाली रिक्शा और टैक्सी में भी अन्य शहरों की तरह शेयरिंग शुरू की जाए। पत्रकार राजेश चेलावत, अरविंद तिवारी, कीर्ति राणा, अन्ना दुराई, अजीतसिंह नारंग, सांसद प्रतिनिधि राजेश अग्रवाल, पूर्व एडीएम रामेश्वर गुप्ता, बस ऑपरेटर्स एसो. के गोविंद शर्मा, देवेंद्र बंसल, अभ्यास मंडल के नूर मोहम्मद कुरैशी, प्रो. संदीप नारूलकर, किशोर कोडवानी, प्रो. किशोर पंवार सहित शहर के विभिन्न प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस अनौपचारिक चर्चा में महत्वपूर्ण सुझावों के साथ अपनी अपनी बात रखी। 

 
प्रारंभ में आयोजक के संयोजक अतुल सेठ ने विषय प्रवर्तन करते हुए इस ज्वलंत समस्या पर चिंतन और मंथन का आग्रह किया। वक्ताओं का स्वागत कुमार सिद्धार्थ, मोहित सेठ, मोहन अग्रवाल, कमल कलवानी आदि ने किया। अंत में संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा ने आभार माना।

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