Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

संत गोस्वामी तुलसीदास जी कौन थे, जानें उनका जीवन और 10 अमूल्य कथन

संत गोस्वामी तुलसीदास जी कौन थे, जानें उनका जीवन और 10 अमूल्य कथन

WD Feature Desk

, बुधवार, 23 अक्टूबर 2024 (10:17 IST)
ALSO READ: नरक चतुर्दशी पर यम का दीपक दिलाता है अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, जानिए नरक चतुर्दशी का महत्वTULSIDAS JI : गोस्वामी तुलसीदास मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के महान कवि थे। तुलसीदास का मूल नाम रामबोला दुबे था। संत गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस के रचयिता के रूप में जाने जाते हैं। उनको संस्कृत के विद्वान और हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि माना गया हैं। आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए यहां जानते हैं उनके बारे में तथा 10 अनमोल कथन-
 
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित प्रसिद्ध महाकाव्य श्रीरामचरितमानस ग्रंथ है। जिसके नायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं, इसका लेखन अवधी भाषा में तथा यह हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। महाकवि तुलसीदास जी श्री रामचरितमानस, हनुमान बाहुक, विनयपत्रिका, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, कवितावली, वैराग्य सन्दीपनी आदि अनेक ग्रंथों के रचियता हैं। 
 
गोस्वामी तुलसीदास का अवतरण श्रावण शुक्ल सप्तमी को हुआ था। उन्होंने सगुण भक्ति द्वारा रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि आज गोस्वामी तुलसीदास जी राम भक्ति के पर्याय बन गए। आज भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का जो मंचन होता है, वह गोस्वामी तुलसीदास की ही देन है। अत: आज कई संत रामकथा के माध्यम से सतत्‌ समाज को जागृत करने में लगे हुए हैं। 
 
तुलसीदास जी के गुरु नरहरिदास माने जाते है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना, बल्कि समूची मानव जाति का जीवन कृतार्थ किया तथा उन्हें श्री राम के आदर्शों से जोड़ दिया। महाकवि कहे जाने वाले संत तुलसीदास जी ने अपने काव्यों में बीस से अधिक रागों का प्रयोग किया है, जैसे- ललित, विभास, नट, तोड़ी, सारंग, सूहो, आसावरी, बिलावल, केदारा, सोरठ, जैती, धनाश्री, कान्हरा, कल्याण, मलार, गौरी, मारू, भैरव, भैरवी, चंचरी, बसंत, दंडक, रामकली आदि। साथ ही उनकी विशेष रुचि केदार, आसावरी, सोरठ कान्हरा, धनाश्री, बिलावल और जैती के प्रति भी रही है। मान्यतानुसार उनका निधन सन् 1623 (संवत- 1680) में काशी में हुआ था।
 
गोस्वामी तुलसीदास के अनमोल विचार :
 
• तुलसीदास कहते हैं जिस व्यक्ति की तृष्णा जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है।
 
• वैसे ही किसी बात को अधिक कहने से रस नहीं रह जाता, जैसे गूलर के फल को फोड़ने पर रस नहीं निकलता है।
 
• फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा ही होता है।
 
• ईश्‍वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्‍य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्‍त होता है।
 
• जिसके मन में किसी के भी प्रति राग-द्वेष नहीं है तथा जिसने तृष्णा को त्याग कर शील और संतोष ग्रहण कर रखा हैं, वे संत पुरुष जगत के लिए जहाज समान है।
 
• धर्म, मित्र, धैर्य और नारी की परीक्षा आपात स्थिति में ही होती है।
 
• वृक्ष अपने सिर पर गर्मी सहता है, पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है।
 
• पेट की आग (भूख) बड़वाग्नि से बड़ी होती है।
 
• तप के बल से ब्रह्मा सृष्टि करते हैं। तप से संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है।
 
• स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके।

ALSO READ: Diwali 2024 : इस दिवाली तेल नहीं पानी के दीयों से करें घर को रोशन

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Aaj Ka Rashifal: 23 अक्टूबर का दिन क्या लेकर आया है सभी के लिए, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल