Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

संत गाडगे बाबा की जयंती, जानें उनकी 10 शिक्षाएं

WD Feature Desk
HIGHLIGHTS
 
• राष्ट्रसंत गाडगे बाबा की जयंती 23 फरवरी को मनाई जाती है।
• संत गाडगे बाबा का जीवन परिचय।
• महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जन्मे थे संत गाडगे बाबा। 

ALSO READ: मासी मागम पर्व कब है, क्या करते हैं इस दिन
 
Gadge maharaj Biography in Hindi: आज 23 फरवरी को संत गाडगे बाबा की जयंती है। गाडगे बाबा ने अपने जीवनकाल में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आइए यहां उनके जन्मतिथि पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में और उनके प्रेरणादायी शिक्षाएं...
 
संत गाडगे बाबा का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में 23 फरवरी 1876 को हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबू जी था। वे दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही सच्ची ईश्वर भक्ति मानते थे। गाडगे बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े ही बुद्धिवादी थे। पिता की मौत हो जाने से उन्हें बचपन से अपने नाना के यहां रहना पड़ा था। वहां उन्हें गायें चराने और खेती का काम करना पड़ा था। 
 
गाडगे बाबा ने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी। उनके पास एक लकड़ी, फटी-पुरानी चादर और मिट्टी का एक बर्तन जो कि खाने-पीने और कीर्तन के समय ढपली का काम करता था, यही उनकी संपत्ति थी। इसी वजह से महाराष्ट्र के भिन्न-भिन्न भागों में उन्हें मिट्टी के बर्तन वाले गाडगे बाबा व कहीं चीथड़े-गोदड़े वाले बाबा के नाम से पुकारा जाता था। उनका वास्तविक नाम आज तक किसी को ज्ञात नहीं है।
 
गाडगे बाबा ने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, चिकित्सालय, गौशालाएं, विद्यालय, तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। उन्होंने यह सब भीख मांग-मांगकर बनावाया किंतु अपने सारे जीवन में अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई, क्योंकि लोकसेवा ही उनके जीवन का एकमात्र ध्येय था। उनका विश्वास था कि ईश्वर न तो तीर्थस्थानों में है और न मंदिरों में व न मूर्तियों में, वे तो दरिद्र नारायण के रूप में ईश्वर मानव समाज में विद्यमान है।
 
वे कहते थे कि हर मनुष्य को चाहिए कि वह इस भगवान को पहचाने और तन-मन-धन से उसकी सेवा करें। भूखों को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे को वस्त्र, अनपढ़ को शिक्षा, बेकार को काम, निराश को ढाढस और मूक जीवों को अभय प्रदान करना ही भगवान की सच्ची सेवा है।
 
संत गाडगे बाबा ने तीर्थस्थानों पर 12 बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं इसीलिए स्थापित की थीं ताकि गरीब यात्रियों को वहां मुफ्त में ठहरने का स्थान मिल सके। नासिक में बनी उनकी विशाल धर्मशाला में 500 यात्री एक साथ ठहर सकते हैं। वहां यात्रियों को सिगड़ी, बर्तन आदि भी निःशुल्क देने की व्यवस्था है। दरिद्र नारायण के लिए वे प्रतिवर्ष अनेक बड़े-बड़े अन्नक्षेत्र भी किया करते थे, जिनमें अंधे, लंगड़े तथा अन्य अपाहिजों को कम्बल, बर्तन आदि भी बांटे जाते थे।
 
वे सन्‌ 1905 से 1917 तक वे अज्ञातवास पर रहे। इसी बीच उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा। अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। साथ ही उन्होंने धार्मिक आडंबरों का प्रखर विरोध किया था। वे एक सच्चे निष्काम कर्मयोगी थे। धर्म के नाम पर होने वाली पशुबलि के वे प्रबल विरोधी थे। तथा छुआछूत, नशाखोरी, मजदूरों एवं किसानों का शोषण, सामाजिक बुराइयां आदि का भी उन्होंने विरोध किया था। मानवता की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले संत गाडगे बाबा 20 दिसंबर 1956 को ब्रह्मलीन हुए।

ALSO READ: परम श्रद्धेय पूज्यपाद श्री बड़े सरकार जी महाराज का 34वां समाधि उत्सव
 
संत गाडगे बाबा खास 10 शिक्षाएं : 
 
1.  गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद करो, हर गरीब को शिक्षा देने में योगदान दो। 
 
2. प्यासे को पानी पिलाओ।
 
3. दु:खी और निराश लोगों को हिम्मत दो। 
 
4. भूखे को अन्न (रोटी) दो।
 
5. बेघर लोगों को आसरा दो। 
 
6. अंधे, विकलांग, बीमार व्यक्ति की सहायता करो। 
 
7. बेरोजगारों को रोजगार दो। 
 
8. पशु-पक्षी‍, मूक प्राणियों को अभयदान दो। 
 
9. गरीब, कमजोर लोगों के बच्चों की शादी में मदद करो। 
 
10. वस्त्रहीन लोगों को वस्त्र दो। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित  वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत  या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ALSO READ: विजया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

दिवाली की रात में करें ये 7 अचूक उपाय तो हो जाएंगे मालामाल, मिलेगी माता लक्ष्मी की कृपा

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

धर्म संसार

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चौदस, किसकी होती है पूजा?

Bach Baras 2024: गोवत्स द्वादशी क्यों मनाते हैं, क्या कथा है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

આગળનો લેખ
Show comments