Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

संत रविदास और कबीरदास जी के गुरु रामानंद के बारे में 5 रोचक बातें

संत रविदास और कबीरदास जी के गुरु रामानंद के बारे में 5 रोचक बातें
, बुधवार, 19 जनवरी 2022 (17:42 IST)
Ramanandacharya jayanti 2022: रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य एक महान संत थे। ईस्वी सन् 1299 को माघ माह की सप्तमी को उनकी जयंती मनाई जाती है। इस बार 24 जनवरी सोमवार को उनकी जयंती है। आओ जानते हैं उनके बारे में 5 रोचक जानकारी।
 
 
वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। उन्होंने उत्तर भारत में वैष्णव सम्प्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधुओं को उनका आत्मसम्मान दिलाया। स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म माघ माह की कृष्ण सप्तमी को हुआ था। इस बार 4 फरवरी 2021 को उनकी जयंती है। आओ जानते हैं उनकी महानता की 10 खास बातें।
 
1. जन्म के 3 वर्ष तक नहीं निकले घर से बाहर : रामानंद का जन्म प्रयाग में हुआ था। वशिष्ठ गोत्र कुल के होने के कारण वाराणसी के एक कुलपुरोहित ने मान्यता अनुसार जन्म के तीन वर्ष तक उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने और एक वर्ष तक आईना नहीं दिखाने को कहा था। जहां रामानंद का जन्म हुआ उस स्थान को वर्तमान में श्री मठ प्राकट्य धाम कहा जाता है।
 
2. आठ वर्ष की उम्र में बने संत : आठ वर्ष की उम्र में उपनयन संस्कार होने के पश्चात उन्होंने वाराणसी पंच गंगाघाट के स्वामी राघवानंदाचार्यजी से दीक्षा प्राप्त की। तपस्या तथा ज्ञानार्जन के बाद बड़े-बड़े साधु तथा विद्वानों पर उनके ज्ञान का प्रभाव दिखने लगा। इस कारण मुमुक्षु लोग अपनी तृष्णा शांत करने हेतु उनके पास आने लगे।
 
3. बारह महान गुरुओं के गुरु थे रामानंद : रामानंदजी 1. संत अनंतानंद, 2. संत सुखानंद, 3. सुरासुरानंद , 4. नरहरीयानंद, 5. योगानंद, 6. पिपानंद, 7. संत कबीरदास, 8. संत सेजान्हावी, 9. संत धन्ना, 10. संत रविदास, 11. पद्मावती और 12. संत सुरसरी के गुरु थे।
 
4. राम रक्षा स्तोत्र उन्होंने लिखा : स्वामी रामानंद ने अनेक ग्रंथ लिखे थे। जिनमें से श्रीवैष्णव मताव्ज भास्कर, श्रीरामार्चन-पद्धति प्रमुख है। इसके अलावा गीताभाष्य, उपनिषद-भाष्य, आनन्दभाष्य, सिद्धान्त-पटल, राम रक्षा स्तोत्र, योग चिन्तामणि, रामाराधनम्, वेदान्त-विचार, रामानन्दादेश, ज्ञान-तिलक, ग्यान-लीला, आत्मबोध राम मन्त्र जोग ग्रन्थ, कुछ फुटकर हिन्दी पद और अध्यात्म रामायण भी है।
 
5. योगबल शक्ति से बादशाह को झुकाया : कहते हैं कि उनके काल में मुस्लिम बादशाह गयासुद्दीन तुगलक ने हिंदू जनता और साधुओं पर हर तरह की पाबंदी लगा रखी थी। इन सबसे छुटकारा दिलाने के लिए रामानंद ने बादशाह को योगबल के माध्यम से मजबूर कर दिया था और अंतत: बादशाह ने हिंदुओं पर अत्याचार करना बंदकर उन्हें अपने धार्मिक उत्सवों को मनाने तथा हिंदू तरीके से रहने की छूट दे दी थी।
 
उन्हें भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। अवध चक्रवर्ती दशरथ नन्दन राघवेन्द्र की भक्ति के प्रवाह से उन्होंने भक्त आंदोलन को बढ़ाकर प्राणियों के मन को निर्मल कर दिया था। निम्नलिखित वाक्य उन्होंने ही कहा था कि...
 
जाति पाँति पूछै ना कोई।
हरि को भजै सो हरि का होई।
 
रामानंदाचार्य की धार्मिक परंपरा और संप्रदाय के अनुसार उन्होंने ईस्वी सन् 1410 में देह त्याग दी थी।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

घर की सफाई करने के पहले जान लें ये 10 नियम