नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज बड़ा दिन साबित हो सकता है। उम्मीदवार के नाम पर मंथन के लिए मंगलवार को भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक मंगलवार शाम भाजपा मुख्यालय में हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में शामिल कर सकते हैं। भाजपा ने इस चुनाव के सिलसिले में पहले ही एक 14-सदस्यीय प्रबंधन दल का गठन किया है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत सहित कई अन्य मंत्री, भाजपा के तीन महासचिव और कुछ अन्य नेता इसके सदस्य हैं। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर पार्टी की 14 सदस्यीय प्रबंधन टीम के साथ रविवार को चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी।
भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए विपक्ष सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने के लिए अधिकृत किया था। 18 जुलाई को होने वाले 16वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के बारे में भाजपा ने अभी तक कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।
नड्डा और सिंह दोनों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए अभी तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, जनता दल (यूनाईटेड) प्रमुख नीतीश कुमार, बीजू जनता दल (बीजद) प्रमुख नवीन पटनायक और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला सहित वरिष्ठ नेताओं से बात की है। राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के आधार पर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है।
शरद पवार ने बुलाई विपक्षी दलों की बैठक : एनसीपी प्रमुख शरद पवार आज 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कोलकाता में कहा कि कुछ विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया है। विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार का चयन एक कठिन कदम है क्योंकि क्षेत्रीय दलों के विविध विचारों से आम सहमति तक पहुंचना मुश्किल है। पिछले हफ्ते, शिवसेना ने गांधी और अब्दुल्ला की उम्मीदवारी को खारिज करने की मांग करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अक्सर उनके नाम आते हैं।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा था कि अब्दुल्ला और गांधी विपक्षी दलों के गठबंधन में मजबूत बिंदु नहीं हैं और उनमें राष्ट्रपति चुनाव को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जरूरी कद की कमी है।
इन नेताओं ने किया इंकार : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के इनकार के बाद सोमवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। शरद पवार ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि वे आम लोगों की भलाई के लिए अपनी सेवा जारी रखते हुए खुश हैं। वहीं, अब्दुल्ला ने अनिच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि वे केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू कश्मीर) को वर्तमान महत्वपूर्ण मोड़ से आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहते हैं।
गांधी ने कहा कि मैं उनका अत्यंत आभारी हूं। लेकिन इस मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मैं देखता हूं कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पैदा करे। गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि और भी लोग होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर काम करेंगे। इसलिए मैंने नेताओं से अनुरोध किया है कि ऐसे व्यक्ति को अवसर देना चाहिए। भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जैसे कि अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में राजाजी (सी राजगोपालाचारी) थे और जिस पद की सबसे पहले शोभा डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बढ़ाई।