Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

गांव में आता था सिर्फ 2 घंटे पानी लेकिन ओलंपिक खेलने की प्यास ने रवि दहिया को पहुंचाया ओलंपिक फाइनल में

Webdunia
बुधवार, 4 अगस्त 2021 (15:30 IST)
सोनीपत: क्या किसी गांव की किस्मत को एक पहलवान की ओलंपिक में सफलता से जोड़ा जा सकता है? कम से कम हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव के 15,000 लोग तो ऐसा ही सोचते हैं।

एक ऐसा गांव जहां पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है। एक ऐसा गांव जहां बिजली केवल दो घंटे ही दर्शन देती है। एक ऐसा गांव जहां उचित सीवेज लाइन नहीं है। एक ऐसा गांव जहां सुविधाओं के नाम पर केवल एक पशु चिकित्सालय है। वह गांव बेसब्री से इंतजार कर रहा है रवि दहिया ओलंपिक से पदक लेकर लौटे और बेहतर है कि वह गोल्ड हो।

किसान के पुत्र तथा शांत और शर्मीले मिजाज के रवि इस गांव के तीसरे ओलंपियन हैं। ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके महावीर सिंह (मास्को ओलंपिक 1980 और लास एंजिल्स ओलंपिक 1984) तथा अमित दहिया (लंदन ओलंपिक 2012) भी इसी गांव के रहने वाले हैं।

लेकिन गांव वाले सोचते हैं कि 24 वर्षीय रवि के पदक जीतने से नाहरी का भाग्य बदल जाएगा। इसके पीछे भी एक कहानी है।

महावीर सिंह के ओलंपिक में दो बार देश का प्रतिनिधित्व करने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने उनसे उनकी इच्छा के बारे में पूछा तो उन्होंने गांव में पशु चिकित्सालय खोलने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने इस पर अमल किया और पशु चिकित्सालय बन गया।

अब यह बात तय है कि रवि दहिया सिल्वर या गोल्ड लेकर तो आने ही वाले हैं।अब गांव वालों का मानना है नाहरी भी सुर्खियों में आ जाएगा तथा सरकार उस गांव में कुछ विकास परियोजनाएं शुरू कर सकती है जहां 4000 परिवार रहते हैं।

नाहरी के सरपंच सुनील कुमार दहिया ने कहा, ‘‘इस गांव ने देश को तीन ओलंपियन दिये हैं। इस मिट्टी में कुछ खास है। हमें पूरा विश्वास है कि रवि पदक जीतेगा और उसकी सफलता से गांव का विकास भी शुरू हो जाएगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां कोई अच्छा अस्पताल नहीं है। हमें सोनीपत या नरेला जाना पड़ता है। यहां कोई स्टेडियम नहीं है। हमने छोटा स्टेडियम बनाया है लेकिन उसमें मैट, अकादमी या कोच नहीं है। यदि सुविधाएं हों तो गांव के बच्चे बेहतर जीवन जी सकते हैं। ’’

गांव वालों की विकास से जुड़ी उम्मीदें रवि पर टिकी हैं लेकिन इस पहलवान को अपने पिता राकेश कुमार दहिया के बलिदान और नैतिक समर्थन के कारण सफलता मिली। राकेश वर्षों से पट्टे पर लिये गये खेतों पर मेहनत कर रहे हैं लेकिन उन्होंने अपने संघर्ष को कभी रवि के अभ्यास में रोड़ा नहीं बनने दिया।

राकेश प्रत्येक दिन नाहरी से 60 किलोमीटर दूर छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे अपने बेटे के लिये दूध और मक्खन लेकर आते थे ताकि उनके बेटे को सर्वोत्तम आहार मिले।

वह सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर जाग जाते। अपने करीबी रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिये पांच किलोमीटर चलते। फिर आजादपुर में उतरते और वहां से दो किलोमीटर पैदल चलकर छत्रसाल स्टेडियम में पहुंचते।

वापस लौटने के बाद राकेश खेतों में काम करते। कोविड-19 के कारण लगाये गये लॉकडाउन से पहले लगातार 12 वर्षों तक उनकी यह दिनचर्या रही।

राकेश ने सुनिश्चित किया कि उनका बेटा उनके बलिदानों का सम्मान करना सीखे।

उन्होंने कहा, ‘‘उसकी मां उसके लिये मक्खन बनाया और मैं उसे कटोरे में ले गया था। रवि ने पानी हटाने के लिये सारा मक्खन मैदान पर गिरा दिया। मैंने उससे कहा कि हम बेहद मुश्किलों में उसके लिये अच्छा आहार जुटा पाते हैं और उसे लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। मैंने उससे कहा कि वह उसे बेकार न जाने दे उसे मैदान से उठाकर मक्खन खाना होगा। ’’

रवि तब छह साल का था जब उनके पिता ने उन्हें कुश्ती से जोड़ा था।

राकेश ने कहा, ‘‘उसका शुरू से एकमात्र सपना ओलंपिक पदक जीतना है। वह इसके अलावा कुछ नहीं जानता।’’

यह तो वक्त ही बताएगा कि क्या रवि ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतेंगे या रजत लेकिन नाहरी दिल थामकर उनसे गोल्ड मेडल जीतने का इंतजार कर रहा है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बांग्लादेशी पुरुष क्रिकेटरों का भारतीय महिलाओं ने शॉल से किया स्वागत तो BCCI पर भड़के फैंस

पूरे Diamond League में ओलंपिक के इस कांस्य पदक विजेता से आगे नहीं निकल पाए नीरज चोपड़ा

बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए भारतीय क्रिकेटर्स बांह पर काली पट्टी बांध कर उतरें, फैंस ने की मांग

INDvsPAK हॉकी मैच में हूटर बजने से पहले आपस में भिड़े खिलाड़ी (Video)

INDvsBAN सीरीज को रद्द करने की मांग ने पकड़ा जोर, BCCI से नाराज फैंस

सभी देखें

नवीनतम

हमारे पास भी हैं 4 स्पिनर, कीवी कप्तान ने भी दे दिए Playing XI में बदलाव के संकेत

334 रन जड़कर जिम्बाब्वे ने T20Is में बनाया सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड

टेस्ट रैंकिंग में विराट कोहली से आगे निकले विकेटकीपर ऋषभ पंत

जर्मनी ने भारत को 2-0 से हराया, 8 पेनल्टी कॉर्नर और स्ट्रोक्स नहीं भुना पाया भारत

सोशल मीडिया पर केएल राहुल की आलोचना करने वालों पर भड़के कोच गौतम गंभीर

આગળનો લેખ
Show comments