Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

15 अगस्त: स्वतंत्रता दिवस पर जानें भारतीय तिरंगे का इतिहास

15 अगस्त: स्वतंत्रता दिवस पर जानें भारतीय तिरंगे का इतिहास

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 (15:38 IST)
Indian Flag 
Highlights 
जानें भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज की कहानी। 
तिरंगे के बारे में ऐतिहासिक जानकारी जानें।
भारतीय झंडा तिरंगे की कहानी। 
 
Story of our National Flag : जिस तरह भार‍त का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, उसी तरह हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है और उसकी कहानी भी अलग-अलग होती है। अत: हम सभी के लिए भारतीय झंडे की यह दिलचस्प कहानी जानना अत्‍यंत रोचक है कि हमारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज अपने आरंभ से किन-किन परिवर्तनों से गुजरा। इसे हमारे स्‍वतंत्रता के राष्‍ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया या मान्‍यता दी गई। 
 
फ्रांसीसी क्रांति और उसके नारे स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का भारतीय राष्ट्रवाद पर गहरा असर पड़ा। सन् 1831 में जब राजा राम मोहन राय इंग्लैंड जा रहे थे तो उन्हें एक फ्रांसीसी जहाज पर फ्रांस का झंडा लहराता दिखाई दिया। उसमें भी तीन रंग थे। 1857 की क्रांति ने भारतवासियों के दिल में आज़ादी के बीज बो दिए। 20वीं शताब्दी में जब स्वदेशी आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा तो एक राष्ट्रीय ध्वज की जरूरत महसूस हुई। 
 
स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने सबसे पहले इसकी परिकल्पना की। फिर 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में बंगाल के विभाजन के विरोध में एक रैली हुई जिसमें पहली बार तिरंगा झंडा फहराया गया। समय के साथ इसमें परिवर्तन होते रहे लेकिन जब अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ने का फैसला किया तो देश के नेताओं को राष्ट्रीय ध्वज की चिंता हुई।

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक ध्वज समिति का गठन किया गया और उसमें यह फैसला किया गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे को कुछ परिवर्तनों के साथ राष्ट्र ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया जाए, ये तिरंगा हो और इसके बीच में अशोक चक्र हो। 
भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्‍ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है। 
 
ऐतिहासिक पड़ाव : 
- प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में फहराया गया था। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। 
 
- दूसरे ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्‍वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
 
- तीसरा ध्‍वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
 
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्रप्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए। वर्ष 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। 
तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया। यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। इसमें स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया कि इसका कोई साम्‍प्रदायिक महत्‍व नहीं था और इसकी व्‍याख्‍या इस प्रकार की जानी थी। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया। 
 
स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा। केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना। 
 
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। अशोक चक्र या धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है।

इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है। स्‍वतंत्र भारत का यह राष्‍ट्रीय ध्‍वज हमारे मान-सम्मान का प्रतीक है। और यही तिरंगा ध्वज या झंडा भार‍त के स्वतंत्र देश होने का संकेत देता है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Income Tax Return ने 7.28 करोड़ के साथ बनाया नया रिकॉर्ड