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16 अक्टूबर: आज विश्व खाद्य दिवस, जानें इतिहास और वर्ल्ड फूड डे 2024 की थीम

16 अक्टूबर: आज विश्व खाद्य दिवस, जानें इतिहास और वर्ल्ड फूड डे 2024 की थीम

WD Feature Desk

, बुधवार, 16 अक्टूबर 2024 (10:01 IST)
Vishv khadya divas : आज ‘विश्व खाद्य दिवस’ मनाया जा रहा है। 16 अक्टूबर 1945 को विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत कनाडा में की गई थी, जो अब भी जारी है। आइ जानते हैं इस दिन के बारे में खास जानकारी....
 
Highlights 
  • विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024 की थीम क्या है?
  • विश्व भूख दिवस वर्ल्ड हंगर डे 2024 की विषय वस्तु थीम क्या है?
  • अंतरराष्ट्रीय खाद्य दिवस कब मनाया जाता है?
 
विश्व खाद्य दिवस की स्थापना कब हुई थी: आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने 16 अक्टूबर, 1945 को रोम में 'खाद्य एवं कृषि संगठन/एफएओ' (Food and Agriculture Organization) की स्थापना की, जो बदलती तकनीक जैसे कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है। कॉफ्रेंस ऑफ द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने वर्ष 1979 से विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी। तथा इस दिन को मनाने का उद्देश्य विश्व भर में खाद्यान्न की समस्या को देखते हुए, फैल रही भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देना था। 
 
विश्व खाद्य दिवस में भारत की भूमिका क्या है: भारत ‘कृषि प्रधान’ देश होने के बाद भी यहां अनगिनत लोग भूख के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं, हमारे पास किसी भी विकासशील देश से ज्यादा कृषि योग्य भूमि होने के बाद भी कृषि के साधन और कृषि करने वालों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं होना भी इसका एक कारण हैं। जहां एक ओर युवाओं का आसान तरीके से पैसा कमाने की ओर रुझान बढ़ना और कृषि-खेती के कार्यों से मोहभंग होना तथा जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक और प्रकृति के प्रति अनदेखी करना, जिसके लिए हम सभी जिम्मेदार है। इसी कारण सन् 1980 से 16 अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' का आयोजन शुरू किया गया। हर साल अलग-अलग थीम के साथ मनाए जाने वाले विश्व खाद्य दिवस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था दुनिया में भुखमरी खत्म करना, लेकिन इस कार्यक्रम की शुरुआत के इतने साल बाद, आज भी दुनिया के करोडों लोगों को हम दो वक्त की रोटी मुहैया नहीं करवा पाए हैं। 
 
आज भी विश्व में करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार हैं। उभरती हुई अर्थव्यवस्था, भारत की इस तस्वीर का कारण भले ही जो भी हो, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका परिणाम देश की छवि धूमिल होने के तौर पर ही सामने आएगा। एक तरफ दुनिया में ऐसे बहुत घर, होटल, सामूहिक आयोजन, पार्टियां, विवाह समारोह आदि आपको देखने को मिल जाएंगे जहां बहुत ज्यादा खाना फेंक दिया जाता है और वह कूड़े-कचरे के ढेर में बर्बाद होता है। अत: इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर को यह याद दिलाना है कि भोजन सिर्फ एक जरूरत नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का अधिकार भी है।
 
आज भले ही हम कितने ही विकासशील हो गए हो या बात चाहे किसी भी देश की या विकसित देशों की हो, सब जगह हालात एक समान ही हैं। अत: 'खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए सतत खाद्य प्रणाली' के उद्देश्य के साथ इस साल फिर से हम इस दिवस को मना रहे हैं, लेकिन मंजिल अब भी दूर ही नजर आ रही है। दुनिया भर में भूख से लड़ने में हो रहे प्रयासों के बीच भारत की एक तस्वीर यह भी है कि एक ओर सरकार गरीबों को सस्ते दाम या फ्री में अनाज उपलब्ध करा रही है और गोदामों में सड़ते अनाज के बावजूद करोड़ों लोग भूखे हैं। बता दें कि हमारा भारत विश्वभर के 27 देशों में 105वें स्थान पर है, जो भुखमरी की समस्या को दर्शाता है।
 
विश्व खाद्य दिवस या वर्ल्ड फूड डे 2024 की थीम क्या है : इस बार विश्व खाद्य दिवस 2024 की थीम- बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार' (Right to foods for a better life and a better future) तय की गई है। जो हमें यह बता रहा हैं कि हर इंसान को पौष्टिक भोजन करने का अधिकार है। अत: हमें एक ऐसी खाद्य प्रणाली विकसित करनी होगी, जो लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करे कि इसकी प्रणाली टिकाऊ है। तथा हम भोजन की बर्बादी न करते हुए या कम करते हुए भूख, कुपोषण तथा भुखमरी से जी रहे लोगों तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने का प्रयार करेंगे तथा उपाय खोजेंगे जिनसे उन सभी लोगों तक अन्न पहुंचे जो रोजाना भूखे पेट सोते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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