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Children's Day Poem : बचपन के खूबसूरत पलों के नाम, पढ़िए ये स्वरचित कविता

Childrens Day Poem

WD Feature Desk

, गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (11:03 IST)
- मुस्कान चौकसे
 
खेल खिलौने दूध जलेबी 
फिर से मैं तो खाऊंगा 
मैं इक दिन फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 
 
नंगे पैरों से दुनिया का चप्पा 
नाप लाऊंगा 
मैं इक दिन फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 
 
एक कट्टी से सारे बैर 
और इक बट्टी से सारा प्यार 
इक फुग्गे से दिल से डोरी 
इक कॉपी में सारा सार 
 
सारे उलझन बाबा के 
सारे आंसू मां ले लेती 
सारे सपने सपनों से 
सारे सवालों को बसतो में रख लेती। 
 
9-5 से ज्यादा मुश्किल 
गणित के सवाल लगते थे,
बंद अलमारी में 
गुल्लक से वो सारे सपने सजते थे। 
 
फिर दिन बीते 
और बढ़ा हूं ये हकीकत 
एक ख्वाब लगा,
दुनिया की सच्चाई जानी जब 
जब कॉर्पोरेट में जॉब लगी। 
 
पर तोड़कर ये नियम सभी 
मैं फिर से गलती दोहराऊंगा,
काश इक दिन ऐसा आजाए 
जब मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 
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