गेहूं का रस किसी भी बीमारी के लिए रामबाण औषधि है। ताजा-ताजा यह रस पीने से पथरी, पीलिया, मधुमेह, गठिया आदि बीमारियां ठीक हो जाती हैं। रस बनाने की विधि-
पुराने लकड़ी के बक्सों में मिट्टी भर लीजिए। इसमें गेहूं के दाने बो दीजिए। थोड़ा-थोड़ा पानी डालिए और जहां तक हो सके इन्हें छांह में रखिए।
आठ-दस दिन बाद जब पौधे 7-8 इंच लंबे हो जाएं, तब इन्हें जड़ से उखाड़कर धो लें। जड़ काटकर अलग कर दें और बचे हुए डंठल और पत्तियों को पीसकर, छानकर रस तैयार कर लें। इस रस को तत्काल पी लें।
ज्यादा देर इसे रखने से इसकी शक्ति कम हो जाती है। इस रस के सेवन से भयंकर से भयंकर रोग भी दूर हो जाते हैं।
खांसी- 20 ग्राम गेहूं के दानों में नमक मिलाकर 250 ग्राम पानी में उबाल लें। जब तक की पानी की मात्रा एक तिहाई न रह जाए। इसे गरम-गरम पी लें। लगातार एक हफ्ते तक यह प्रयोग दोहराने से खांसी जल्दी चली जाती है।
दाहकता- 80 ग्राम गेहूं को रात में पानी में भिगो दें। सुबह उन्हें अच्छी तरह पीसकर छान लें। यदि चाहें तो स्वाद के लिए उसमें थोड़ी सी मिश्री मिला लें। गेहूं के इस रस को पीने से शरीर में उत्पन्न दाहकता (गर्मी) शांत होती है। इससे मूत्र संबंधी रोगों में भी फायदा मिलता है।
अस्थि भंग- एक मुठ्ठी गेहूं को तवे पर भूनकर पीस लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटने से अस्थि भंग रोग दूर होता है। स्मरण शक्ति- गेहूं से बने हरीरा में शक्कर और बादाम मिलाकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।