Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

होली की कथा से मिलती है हमें 5 तरह की सीख

अनिरुद्ध जोशी
होली का दहन भक्त प्रहलाद की याद में मनाया जाता है। आओ जानते हैं भक्त प्रहलाद की कथा। एक बार असुरराज हिरण्यकशिपु विजय प्राप्ति के लिए तपस्या में लीन था। मौका देखकर देवताओं ने उसके राज्य पर कब्जा कर लिया। उसकी गर्भवती पत्नी को ब्रह्मर्षि नारद अपने आश्रम में ले आए। वे उसे प्रतिदिन धर्म और विष्णु महिमा के बारे में बताते। यह ज्ञान गर्भ में पल रहे पुत्र प्रहलाद ने भी प्राप्त किया। बाद में असुरराज ने ब्रह्मा के वरदान से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली तो रानी उसके पास आ गई। वहां प्रहलाद का जन्म हुआ।
 
 
बाल्यावस्था में पहुंचकर प्रहलाद ने विष्णु-भक्ति शुरू कर दी। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपने गुरु को बुलाकर कहा कि ऐसा कुछ करो कि यह विष्णु का नाम रटना बंद कर दे। गुरु ने बहुत कोशिश की किन्तु वे असफल रहे। तब असुरराज ने अपने पुत्र की हत्या का आदेश दे दिया।
 
उसे विष दिया गया, उस पर तलवार से प्रहार किया गया, विषधरों के सामने छोड़ा गया, हाथियों के पैरों तले कुचलवाना चाहा, पर्वत से नीचे फिंकवाया, लेकिन ईश कृपा से प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। तब हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को बुलाकर कहा कि तुम प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाओ, जिससे वह जलकर भस्म हो जाए।
 
होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि तब तक कभी हानि नहीं पहुंचाएगी, जब तक कि वह किसी सद्वृत्ति वाले मानव का अहित करने की न सोचे। अपने भाई की बात को मानकर होलिका भतीजे प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई।
 
उसका अहित करने के प्रयास में होलिका तो स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद हंसते हुए अग्नि से बाहर आ गया। इसलिए होली पर्व मनाते समय वास्तविक भाव को ध्यान में रखकर होली दहन करें।

 
सीख : 
1. इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें प्रभु की भक्ति को समझना चाहिए। प्रभु के अलावा किसी को ईश्वर नहीं मानना चाहिए। जिस तरह की प्रहलाद ने ईश्वर की भक्ति को ही सर्वोपरि माना।
 
2. हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। खुद को ही सबकुछ मानकर नहीं चलना चाहिए। नास्तिकता के विचार त्याग देना चाहिए। जिस तरह की हिरण्यश्यप ने घमंड किया तो उसका नाश हो गया।
 
3. ईश्वर की भक्ति में ही शक्ति है उससे जीवन की सभी समस्याओं का हल हो जाता है। यदि आपमें दृढ़ समर्पण भाव है तो ईश्‍वर जरूर आपकी रक्षा करेगा। जिस तरह की भक्त प्रहलाद पर इतने संकट आए फिर भी वे अपनी भक्ति में दृढ़ थे। 
 
4. अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए जिस तरह की होलिका ने किया। अपनी शक्तियों को सर्वहित में लगाएं।
 
5. इसके अलावा आप आप चाहे तो विगत वर्षों के बुरे अनुभवों और असफलताओं को एक कागज पर लिखकर अग्नि को समर्पित कर दें। अपने मन में चल रहे नकारात्मक भावों को होली दहन में डाल दें। तभी आप भी सकारात्मकता सोच से आगे बढ़ते हुए प्रहलाद की तरह ईश कृपा के पात्र बन जाएंगे।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

धनतेरस पर इस समय करते हैं यम दीपम, पाप और नरक से मिलती है मुक्ति, नहीं रहता अकाल मृत्यु का भय

Dhanteras 2024 Date: धनतेरस पर करें नरक से बचने के अचूक उपाय

Dhanteras ki katha: धनतेरस की संपूर्ण पौराणिक कथा

Dhanteras 2024 date and time: धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और यमदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त

Dhanteras kab hai 2024: वर्ष 2024 में कब है धनतेरस का त्योहार, 29 या 30 अक्टूबर को?

सभी देखें

धर्म संसार

Diwali Upay 2024: इस दीपावली घर लाएं ये धनदायक चीजें, आर्थिक संकटों से मिलेगी मुक्ति

धनतेरस की असली कहानी/कथा क्या है?

Story of Diwali 2024: धनतेरस से दीपावली तक कौन करता है पृथ्वी पर शासन, पढ़ें रहस्यमयी कथा

Diwali 2024: कैसे करें दीपावली पर एकाक्षी नारियल सिद्धि साधना, जानें सरल उपाय

धनतेरस के दिन जरूर लगाएं ये पौधा, दरिद्रता और रोगों से मिलेगी मुक्ति

આગળનો લેખ
Show comments