Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

होली विशेष : हर रंग कुछ कहता है... होली से पहले रंगों की भाषा जान लीजिए

Webdunia
डॉ. कुमुद दुबे 

सभी रंग सूर्य की किरणों के प्रभाव से बनते हैं। सूर्य की किरणों में सभी रंगों का सम्मिश्रण है। सूर्य की छत्रछाया में अनेक प्रकार की वनस्पतियां तथा जीवधारी पनपते-बढ़ते हैं। उसी प्रकार हरा, लाल और नीला रंग ये मनुष्य को स्वस्थ, यशस्वी और गौरवशाली बनाने वाले हैं। हिन्दू देवी-देवताओं में प्रयु्क्त रंगों के चुनाव में कुछ रंगों का निश्चित मनौवैज्ञानिक सांकेतिक अर्थ है। विविध रंग हमारे दैनिक जीवन में उपयोगिता के साथ-साथ ही नव-स्फूर्ति, सुंदरता और कल्याण का संदेश देते हैं।
 
रंगों का स्वास्‍थ्य और मन पर प्रबल प्रभाव पड़ता है। रंगों के आकर्षक वातावरण में मन प्रसन्न रहता है और उदासी दूर होती है। धार्मिक कार्यों में रोली-कुंकुम का लाल रंग, हल्दी का पीला रंग, पत्तियों का हरा, आटे का सफेद रंग प्रयोग में लाया जाता है। यह हमारे लिए स्वास्थ्यदायक, स्फूर्तिदायक और कल्याणकारी होता है।
 
लाल रंग
 
लाल रंग मनुष्य के शरीर को स्वस्थ और मन को हर्षित करने वाला है। इससे शरीर का स्वास्थ्य सुधरता और मन प्रसन्न रहता है। यह पौरूष और आत्मगौरव प्रगट करता है। लाल टीका शौर्य एवं विजय का प्रतीक है। प्राय: सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा पर लाल रोली का टीका लगाया जाता है। हिन्दू धर्म में लाल रंग से उन्हीं देवी-देवताओं को सुसज्जित किया गया है, जो परम मंगलकारी, धन, तेज, शौर्य और पराक्रम को प्रगट करते हैं। उन देवताओं को शौर्यसूचक लाल रंग दिया गया है जिन्होंने अपने बाहुबल, अस्त्र-शस्त्र तथा शारीरिक शक्तियों से दुष्ट दैत्यों या आसुरी प्रवृत्तियों को परास्त किया है। हर्ष, खुशी के अवसर पर लाल रंग से ही स्पष्ट किए जाते हैं। विवाह, जन्म, विभिन्न उत्सवों पर आनंद की भावना लाल रंग से प्रगट होती है। नारी की मांग में लाल सिन्दूर जहां उसका सौंदर्य बढ़ाता है वहीं अटल सौभाग्य तथा पति प्रेम भी प्रगट करता है।
 
हिन्दू तत्व‍दर्शियों ने सिंह वाहिनी भगवती दुर्गा को लाल रंग के वस्त्रों से सुसज्जित किया है। उनकी पूजा से आध्यात्मिक, दैहिक तथा भौतिक त्रितापों को दूर करने का विधान है। धन की देवी लक्ष्मीजी को भी मंगलकारी लाल वस्त्र पहनाए जाते हैं। लाल रंग धन, विपुल संपत्ति, समृद्धि और शुभ-लाभ को प्रकट करने वाला है।
 
भगवा रंग-
 
यह त्याग, तपस्या और वैराग्य का रंग है। भारतीय धर्म में इस रंग को साधुता, ‍पवित्रता, शुचिता, स्वच्छता और परिष्कार का द्योतक माना गया है। जैसे आग में तपकर वस्तुएं निखर उठती हैं, उनकी कालिमा और सभी दोष दूर होते हैं उसी प्रकार इस रंग को पहनने वाले अपनी विषय-वासनाओं को दग्ध कर आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होते हैं। यह आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह धार्मिक ज्ञान, तप, संयम और वैराग्य का रंग है। यह रंग शुभ संकल्प का सूचक है। यह रंग पहनने वाला अपने ‍कर्तव्य और नैतिक उन्नति के प्रति हमेशा दृढ़ संकल्प रहता है।
 
हरा रंग-
 
हरा रंग समस्त प्रकृति में व्याप्त है। यह पेड़-पौधे, खेतों-पर्वतीय प्रदेश को आच्छादित करने वाला मधुर रंग है। यह मन को शांति और हृदय को शीतलता प्रदान करता है। यह मनुष्य को सुख, शांति, स्फूर्ति देने वाला रंग है। लाल और हरे रंगों से उद्योगशीलता स्पष्ट होती है। ऋषि-मुनियों ने अपनी आध्यात्मिक उन्नति हरे-हरे पर्वत शिखरों, घास के मैदानों तक निर्झरों के हरे तटों के सुखद-शांत वातावरण में की थी। संसार के महान ग्रंथ, मौलिक विचार, प्राचीन शास्त्र, वेद-पुराण आदि उत्तम ग्रंथ हरे शांत वातावरण में ही निर्मित हुए हैं।
 
पीला रंग-
 
यह रंग ज्ञान और विद्या का, सुख और शांति का, अध्ययन, विद्वता, योग्यता, एकाग्रता और मानसिक तथा बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है। यह रंग मस्तिष्क को प्रफुल्लित और उत्तेजित करता है। भगवान विष्णु का वस्त्र पीला है। पीत वस्त्र उनके असीम ज्ञान का द्योतक है। भगवान श्रीकृष्ण भी पीताम्बर से सुसज्जित हैं। भगवान गणेश की धोती पीली और दुपट्टा नीला या हरा रखा गया है। गणेश का पूजन-अर्चन किसी भी शुभ कार्य के लिए अनिवार्य एवं आवश्यक है। सभी मंगल कार्यों में पीली धोती वाले ‍ग‍णेश विघ्नहर्ता हैं।
 
नीला रंग- 
 
सृष्टिकर्ता ने विश्व में नीला रंग सर्वाधिक रखा है। हमारे सिर पर विस्तृत अनंत नीलवर्ण का आकाश है। नीचे सृष्टि में समुद्र तथा सरिताओं में नीले रंग का आधिक्य है। मनोविज्ञान के अनुसार नीला रंग बल, पौरूष और वीर भाव का प्रतीक है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्रजी तथा पुरुषोत्तम योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान दोनों ने ही संपूर्ण मानवता की रक्षा एवं दानवता के विरुद्ध युद्ध करने में आजीवन व्यतीत किया है।
 
इन देवताओं का वर्ण नीला है। भगवान शिव को ‍नीलकंठ कहा जाता है। सागर मंथन करने पर उसमें से विष निकला था। यह विष यदि पृथ्वी पर फेंका जाता तो सर्वनाश निश्चित था। जिसके भी पेट के भीतर जाता, वह मर जाता। भगवान शिव ही सर्वसमर्थ थे, जो उस विष को धारण कर सकते थे। उन्होंने विष को अपने कंठ में रखा और नीलकंठ कहलाए। शिव, विष्णु, गणेश, सूर्य और देवी ये पांच देवता हिन्दू उपासना में प्रसिद्ध हैं। इसमें शिव महादेव सबसे अधिक पौरूषवान हैं कि सर्प भी इनके आभूषण बने हुए हैं।
 
सफेद रंग
 
श्वेत रंग सात रंगों का मिश्रण है। श्वेत रंग पवित्रता, शुद्धता, विद्या और शांति का प्रतीक है। इससे मानसिक, बौद्धिक और नैतिक स्वच्‍छता प्रकट होती है। विद्या ज्ञान का रंग सफेद है। ज्ञान हमें सांसारिक संकुचित भावना से ऊपर उठाता है और पवित्रता की ओर अग्रसर करता है। श्वेत रंग चंद्रमा जैसी शीतलता प्रदान करता है। मोती पहनने से मन को शांति मिलती है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

આગળનો લેખ