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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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भारत वर्ष का उल्लास पर्व है होली, जानिए किन-किन स्थानों पर खेली जाती है यह

भारत वर्ष का उल्लास पर्व है होली, जानिए किन-किन स्थानों पर खेली जाती है यह
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सुशील कुमार शर्मा

* जानिए, भारत में होली के रंग बिखेरतीं 11 जगहें, जहां मनाया जाता है यह अनोखा पर्व
 
मथुरा में बरसाने की होली प्रसिद्ध है। बरसाना राधाजी का गांव है, जो मथुरा शहर से करीब 42 किमी अंदर है। यहां एक अनोखी होली खेली जाती है जिसका नाम है लट्ठमार होली। 
 
* बरसाने में ऐसी परंपरा हैं कि श्रीकृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में घुसने और राधाजी के मंदिर में ध्वज फहराने की कोशिश करते हैं और बरसाने की महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं और डंडों से पीटती हैं और अगर कोई मर्द पकड़ा जाए तो उसे महिलाओं की तरह श्रृंगार करना होता है और सबके सम्मुख नृत्य करना पड़ता है, फिर इसके अगले दिन बरसाने के पुरुष नंदगांव जाकर वहां की महिलाओं पर रंग डालने की कोशिश करते हैं। यह होली उत्सव करीब 7 दिनों तक चलता है। 
 
* इसके अलावा एक और उल्लासभरी होली होती है, वो है वृंदावन की होली। यहां बांकेबिहारी मंदिर की होली और 'गुलाल कुंद की होली' बहुत महत्वपूर्ण है। वृंदावन की होली में पूरा समां प्यार की खुशी से सुगंधित हो उठता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि होली पर रंग खेलने की परंपरा राधाजी व कृष्णजी द्वारा ही शुरू की गई थी। 
 
* राजस्थान की होली मुख्यत: 3 प्रकार की होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते हैं और बदले में औरतें, मर्दों की लाठियों से पिटाई करती हैं। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद खूबसूरत होती है। 
 
* पंजाब में होली को 'होला मोहल्ला' कहते है और इसे निहंग सिख मनाते हैं। इस मौके पर घुड़सवारी, तलवारबाजी आदि का आयोजन होता है। 
 
* हरियाणा की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। बस, फर्क सिर्फ इतना है कि यहां देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करते हैं और बदले में भाभी, देवर की लाठियों से पिटाई करती है। यहां होली को 'दुल्हंदी' भी कहते हैं। 
 
* दिल्ली की होली तो सबसे निराली है, क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहां पर सभी जगह के लोग अपने ढंग से होली मनाते हैं, जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है। वैसे दिल्ली में नेताओं की होली की भी खूब धूम होती है। 
 
* कर्नाटक में यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट व फटे वस्त्र एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं। 
 
* इसके अलावा बिहार की फगुआ होली, महाराष्ट्र की रंगपंचमी, गोवा की शिमगो, गुजरात की गोविंदा होली और पश्चिमी पूर्व की 'बिही जनजाति की होली' की धूम भी निराली है। दक्षिण भारत में होलिका के 5वें दिन रंगपंचमी के रूप में यह उत्सव मनाया जाता है। पूरे भारत में यह उत्सव विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। 
 
उत्तर भारत में वृंदावन, मथुरा, बरसाना आदि की होली बहुत प्रसिद्ध है। बरसाना में राधारानी मंदिर के प्रांगण में लट्ठमार होली होती है जिसमें स्त्रियां लाठियों से पुरुषों पर प्रहार करती हैं एवं होली गीत गाती हैं। वृंदावन का रसिया गायन, वहां का होली नृत्य; जो कृष्ण और राधा की होली खेलने को दर्शाता है; बहुत प्रसिद्ध है। 
 
* बिहार प्रांत में उत्तरप्रदेश की भांति ही होली होती है। भोजपुरी भाषा में इस उत्सव में गाए गए फाग वहां की विशेषता हैं। 
 
* अवध, मगध, मध्यप्रदेश, राजस्थान, मैसूर, गढ़वाल, कुमायूं, ब्रज सभी क्षेत्रों में होली की अत्यंत उल्लास और उमंग देखने को मिलती है। 
 
* बंगाल एवं बांग्लादेश में होलिकादहन नहीं होता, वहां इसे दोल-यात्रा या वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसमें कृष्ण प्रतिमा का झूला प्रचलित है।

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