Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Holi 2024: होली के बारे में 10 अनसुनी बातें

Holi 2024: होली के बारे में 10 अनसुनी बातें

WD Feature Desk

Holi 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है और उसके दूसरे दिन होली और पांचवें दिन रंगपंचमी का पर्व मनाया जाता है।  होली के त्योहार के दिन लोग शत्रुता या दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे से गले मिलकर फिर से दोस्त या मित्र बन जाते हैं। 25 मार्च 2025 को होली का पर्व मनाया जाएगा। आओ जानते हैं होली के पर्व की 10 अनसुनी बातें।
1. लट्ठमार होली : मथुरा में लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ वसंत पंचमी से ही हो जाता है। यहां पर लट्ठमार होली खेली जाती है जिस देखने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं।
 
2. गोविंद होली : महाराष्ट्र में गोविंदा होली अर्थात मटकी-फोड़ होली खेली जाती है। इस दौरान रंगोत्सव भी चलता रहता है।
 
3. किचड़ की होली : होली के त्योहार से रंग जुड़ने से पहले लोग एक दूसरे पर धूल और किचड़ चुपड़ते थे इसीलिए इसे धुलेंडी कहा जाता था। कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं। पुराने समय में यह होता था जिसे धूल स्नान कहते हैं। पुराने समय में चिकनी मिट्टी की गारा का या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था। धुलेंडी को धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन और चैत बदी आदि नामों से जाना जाता है। 
4. होली का नाम : पहले होली का नाम ' होलिका' या 'होलाका' था। साथ ही होली को आज भी 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।
webdunia
holi
5. तमिल होली : तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगना में भी ऐसी ही होली होती है।
 
6. भांग की गोली : कई क्षेत्रों में होल के साथ भांग का नशा जुड़ा हुआ है। होली के दिन भांग पीने का प्रचलन भी सैंकड़ों वर्षों से जारी है। कई लोग मानते हैं कि ताड़ी, भांग, ठंडाई और बजिये के बिना होली अधूरी है।
7. आदिवासियों की होली : आदिवासी क्षेत्र में होली के साथ ताड़ी और डांस जुड़ा हुआ है। आदिवासियों अलग अलग क्षेत्र में होली का रंग भी अलग ही होता है। जैसे झाबुआ में होली के पूर्व भगोरिया उत्सव और मेला प्रारंभ होता है। होली पर इसमें बहुत ही धूम रहती है।
 
8. होली और संगीत : शास्त्रीय संगीत का होली से गहरा संबंध है। हालांकि ध्रुपद, धमार और ठुमरी के बिना आज भी होली अधूरी है। होली पर नृत्य, संगीत और गीत का खास महत्व है।
 
9. रासलीला : होली के त्योहार में रंग कब से जुड़ा इसको लेकर मतभेद है परंतु इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया था और जिसकी खुशी में गांववालों ने रंगोत्सव मनाया था। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था।  संस्कृत साहित्य में होली के कई रूप हैं. जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण में होली को रास का वर्णन किया गया है। महाकवि सूरदास ने वसन्त एवं होली पर 78 पद लिखे हैं। 
 
10. सबसे पुराना त्योहार : विंध्य क्षेत्र में रामगढ़ नामक स्थान पर करीब 300 साल पुराने अभिलेख मिले हैं, जिनमें होली में बारे में लिखा गया है। सिंधु घाटी की सभ्यता में भी ऐसे चिन्ह पाए गए हैं जिससे होली का पता चलता है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

आमलकी एकादशी व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त