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Vishnu puran : विष्णु और भागवत पुराण की 10 भविष्यवाणियां

WD Feature Desk
शुक्रवार, 7 जून 2024 (11:12 IST)
Prediction of Vishnu Purana: पुराणों की संख्या कुल 18 है जिनमें से अधिकतर वेदव्यासजी ने लिखे हैं। ऐसा कहते हैं कि विष्णु पुराण की रचना महर्षि वशिष्ठ के पुत्र ऋषि पराशर ने की है। विष्णु पुराण में राजवंशों के उल्लेख के साथ ही कलियुग की भविष्यवाणी भी मिलती है। आओ जानते हैं 10 भविष्यवाणियां। 
 
इस पुराण के छह अध्याय है। प्रथम में सृष्टि की उत्पत्ति और काल के स्वरूप के साथ ही ध्रुव, पृथु तथा प्रह्लाद की रोचक कथाएं हैं। द्वितीय में सभी लोकों का स्वरूप वर्णन और पृथ्‍वी के नौ खंडों के साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का वर्णन मिलेगा। तृतीय में मन्वन्तर काल, वेद शाखाओं का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध-विधि आदि का वर्णन मिलेगा। चतुर्थ में सूर्य वंश और चन्द्र वंश के राजा तथा उनकी वंशावलियों का वर्णन है। पंचम में श्रीकृष्ण चरित्र और उनकी लीलाओं का वर्णन है। अंत में छठे अध्याय में प्रलय तथा मोक्ष का ज्ञान मिलेगा।
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1. कलयुग में लोग जो भी धन जोड़ेंगे वो सभी घर बनाने में ही खर्च हो जाएगी। अत्याधिक मेहनत करने के बाद भी कई लोगों के पास उनका खुद का घर नहीं होगा। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा धन उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा।
 
2. कलयुग में लोग घमंडी हो जाएंगे। थोड़ा सा धन प्राप्त करते ही उसमें घमंड आ जाएगा जोकि उसके विनाश का कारण बनेगा। मनुष्य के सारे रिश्ते नाते केवल संपत्ति से ही होंगे। केवल धनवान लोगों की ही जयकार होगी और उन्हें ही ज्ञानी माना जाएगा। कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा।
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3. कलयुग में बहुत सारे लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त होंगे। कई लोग एक साथ मरेंगे। कलयुग में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ेगी और साथ साथ ही इंसान नई नई बीमारियों से मरेंगे।  सूखे और बाढ़ के कारण किसान आत्महत्या करेंगे।
 
4. कलयुग में भीषण गर्मी के बाद सब जगह सूखा पड़ने लगेगा। वर्षा बंद हो जाएगी। आने वाले समय में गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी की लोग उसे सहन नहीं कर पाएंगे। नदियों, तलाबों में पर्वतों से आने वाला जल एकदम से सूख जाएगा। पृथ्वी कठोर हो जाएगी जैसे कछुए का पीठ होता है उस प्रकार से धरती हो जाएगी। सभी जीव जंतु त्राही त्राही करने लगेंगे।
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कलयुग की प्रजा बाड़ और सूखे के भय से व्याकुल रहेगी। सबके नेत्र आकाश की ओर लगे रहेंगे। वर्षा न होने से मनुष्य तपस्वी लोगों की तरह फल मूल व् पत्ते खाकर और कितने ही आत्मघात कर लेंगे। कलयुग में सदा अकाल ही पड़ता रहेगा। सब लोग हमेशा किसी न किसी कलेशो से घिरे रहेंगे। किसी-किसी तो थोड़ा सुख भी मिल जाएगा। सब लोग बिना स्नान करे ही भोजन करेंगे। 
 
5. इसके बाद श्रीहरि रुद्र रुप से शेष नाग के मुख से प्रकट होकर नीचे से पाताल लोक को जलाना आरंभ करेंगे। संपूर्ण भूतल को भस्म कर दिया जाएगा। इसके बाद भयंकर वर्षा होगी और यह वर्षा कई वर्षों तक होता रहेगा। इससे धरती की अग्नि शांत होगी और संपूर्ण जगत में जल ही जल होगा।
 
4. विष्णु पुराण में सूतजी का संवाद इस प्रकार से है कि, हे महामुने। यही एक कल्प है। इसमें चौदह मनु बीत जाते हैं। हे मैत्रेय ! इसके अंत में ब्रह्मा का नैमित्तिक प्रलय होता है। हे मैत्रेय! सुनो, मैं उस नैमित्तिक प्रलय का अत्यन्त भयानक रूप वर्णन करता हूं। इसके पीछे मैं तुमसे प्राकृत प्रलय का भी वर्णन करूंगा। एक सहस्र चतुर्युग बीतने पर जब पृथ्वी क्षीण प्राय हो जाती है तो सौ वर्ष तक अति घोर अनावृष्टि होती है॥
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5. कलयुग के अंत के समय बड़े-बड़े भयंकर युद्ध होंगे, भारी वर्षा, प्रचंड आंधी और जोरों की गर्मी पड़ेगी। लोग खेती काट लेंगे, कपड़े चुरा लेंगे, पानी पिने का सामान और पेटियां भी चुरा ले जाएंगे। चोर अपने ही जैसे चोरों की संपत्ति चुराने लगेंगे। हत्यारों की भी हत्या होने लगेगी, चोरों से चोरों का नाश हो जाने के कारण जनता का कल्याण होगा। युगान्त्काल में मनुष्यों की आयु अधिक से अधिक तीस वर्ष की होगी।
 
6 पुराणों में लिखा है कि जो व्यक्ति, संगठन या समाज वेद विरुद्ध आचरण कर भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को खंडित करेगा उसका आने वाले समय में समूल नाश हो जाएगा। पुराणकार मानते हैं कि जैसे-जैसे कलयुग आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत की गद्दी पर वेद विरोधी लोगों का शासन होने लगेगा। ये ऐसे लोग होंगे, जो जनता से झूठ बोलेंगे और अपने कुतर्कों द्वारा एक-दूसरे की आलोचना करेंगे और जिनका कोई धर्म नहीं होगा। ये सभी विधर्मी होंगे। ये सभी मिलकर भारत को तोड़ेंगे और अंतत: भारत को एक अराजक भूमि बनाकर छोड़ देंगे।
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7. ''ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।''....'अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे इसका अर्थ है कि उनके पाप जोर मार रहे हैं।'
 
8. जब सभी वेदों को छोड़कर संस्कारशून्य हो जाएंगे तब....''सिंधुतट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्मतेज से हीन नाममा‍त्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।'' ''ये सबके सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आग-बबूला हो जाएंगे।'' ''ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी। राजा के वेश में ये म्लेच्‍छ ही होंगे।''
 
9. ''वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे। जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंतत: सबके सब नष्ट हो जाएंगे।''- भागवत पुराण
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10. महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा। कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे। कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा।
 
कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा।

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