These 10 habits cause premature death: अकाल मृत्यु के योग कुंडली या हस्तरेखा में होते हैं और कई बार यदि कुंडली में यह योग नहीं है फिर भी कुछ लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसका कारण उनके इस जन्म के कर्म होते हैं। ईश्वर ने यह शरीर लंबी आयु के लिए दिया है परंतु लोग इस शरीर में जहर भरते रहते हैं तो निश्चित ही वे वक्त के पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार यदि वे मानसिक और आत्मिक पाप करते हैं तो भी वे अकाल मौत मरते हैं।
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अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का।
काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का।।
1. संध्याकाल में ये कार्य न करें : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार 'भोजन करने और शारीरिक संबंध बनाने से आयु कम हो जाती है और व्यक्ति अकाल मौत मरता है।' इसीके साथ ही सूर्य उदय और अस्त के समय जो संधि काल होता है उसे संध्या काल भी कहते हैं। संधिकाल में अनिष्ट शक्तियां प्रबल होने के कारण इस काल में निम्नलिखित बातें निषिद्ध बताई गई हैं- सोना, खाना-पीना, गालियां देना, झगड़े करना, अभद्र एवं असत्य बोलना, क्रोध करना, शाप देना, यात्रा के लिए निकलना, शपथ लेना, स्त्री संग शयन करना, धन लेना या देना, रोना, वेद मंत्रों का पाठ, शुभ कार्य करना, चौखट पर खड़े होना, किसी भी प्रकार का शोर-शराबा करना आदि। यह सभी गंदी आदते हैं जो अकाल मृत्यु का कारण भी बन जाती है।' जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में भी सोते रहते हैं उनकी आयु भी कम हो जाती है। वहीं जो लोग ब्रह्ममुहूर्त में योग-ध्यान और भजन करते हैं उनकी आयु बढ़ जाती है।
2. पराई स्त्री से संबंध : 'महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर अन्य महिला से अवैध संबंध रखता है या कोई महिला अपने पति को छोड़कर अन्य पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो यह जीवनसाथी के साथ और शास्त्र सम्मत किए गए पवित्र बंधन के साथ धोखा माना जाता है। इससे कभी न कभी उसका अहित होने वाला है। यह भी अकाल मृत्यु का कारण बनता है।' यदि नहीं जो जीवनभर व्यक्ति मृत्युतुल्य कष्ट में रहता है।
3. साधु संतों का अपमान : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार यदि कोई जातक साधु, संतों, गुरुओं या अपने पिता का अपमान करता है तो ऐसे जातक के जीवन में कई तरह की परेशानियां खड़ी होने लगती है। यदि कोई गंभीर अपराध किया है तो यह अकाल मृत्यु का कारण बनेगा।
4. गर्भवती महिला : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार 'जो लोग किसी भी गर्भवती महिला का अपमान करते, उसे सताते या उसे बाधा पुहंचाते हैं, तो ऐसे जातक की अकाल मृत्यु तय हो जाती है।'.......ऐसे लोगों को देवता लोग खासकर शनिदेव छोड़ते नहीं हैं।
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5. दूसरों के जूते-चप्पलों या कपड़े पहनना : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार शस्त्रों के अनुसार दूसरों के जूते-चप्पल या कपड़े पहनने से व्यक्ति की आयु कम होती है। कई लोग अपने मृतकों के वस्त्र ही पहने लग जाते हैं जो कि बुरा है। ऐसे में अल्पायु के योग बनते हैं।
6. तिथि विशेष में बुरे कार्य करना : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार 'हिंदू धर्म में अष्टमी, एकादशी, त्रयोदसी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि के साथ ही मंगल और गुरुवार को शारीरिक संबंध बनाते हैं। नशा करते हैं या मांस आदि खाते हैं तो ऐसे लोगों की आयु कम हो जाती है।' इसी के साथ ही नवरात्रि और महत्वपूर्ण त्योहारों पर भी ऐसे कार्य करना वर्जित माना जाता है।
7. पवित्र स्थानों में गंदगी फैलना : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार 'यदि आप नदी, तीर्थ और अन्य पवित्र स्थलों पर गंदगी फैलाते रहते हैं या गंदे कार्य करते हैं तो इसके कारण भी आपकी आयु कम होने लगती है। इसलिए पवित्र स्थलों पर स्वच्छता का ध्यान रखें और सादगीपूर्ण व्यवहार करें।'
8. कड़वे वचन कहना और दूसरों का उपहास उड़ाना : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार 'जो लोग अपनी वाणी से दूसरों को आहत करते हैं, दूसरों पर मिथ्या आरोप लगाते रहते हैं, जिनका व्यवहार क्रूर होता है ऐसे लोगों का समाज में तो निरादर होता ही है, साथ ही ऐसे लोगों को इस जीवन में भी और परलोक में भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ जो लोग दूसरे का उपहास उड़ाते हैं वो भी कई तरह के कष्टों का सामना जीवन में कर सकते हैं।
9. मन की चंचलता : यदि मन एकाग्र नहीं है। गलत या गंदी चीजों पर उसका ध्यान बार बार जाता है। ऐसे लोगों की ऊर्जा बेवजह की चीजों पर नष्ट होती रहती है, जिसका बुरा प्रभाव उसकी आयु पर भी देखने को मिलता है। आपने कई लोग देखे होंगे जो कुछ करने की बजाय अक्सर नाखून चबाने लगते हैं, मुंह में कोई तिनका कागज डालकर चबाने लगते हैं, बैठे-बैठे पैर हिलाने लगते हैं। प्रेमानंद जी के अनुसार ऐसे व्यर्थ के कार्य करने से आपकी आयु कम होती है।
10. नास्तिकता : आजकल नास्तिक होने का फैशन चला है। नास्तिक होना कोई बुरी बात नहीं लेकिन दूसरों की आस्था पर चोट पहुंचाते रहता यह कार्य गलत है। शस्त्रों के अनुसार जो लोग नियमों के विरुद्ध चलते हैं, गुरु की आज्ञा को नहीं मानते तो उनकी आयु बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है। धर्म के विरुद्ध कार्य करना आपके लिए जीवन में भी और जीवन के बाद भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।