Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

धर्म शर्मसार है....

धर्म शर्मसार है....
webdunia

डॉ. रामकृष्ण सिंगी

धर्म धन्धा बन गया, नासमझों की ग़फलत बना। 
कामनाओं का विदोहन, धर्मगुरुओं की आदत बना।। 
राजनीतिज्ञों, पाखंडियों, धंधेबाजों की धूर्त तिकड़ी से,
हर बड़ा डेरा/ आश्रम कालेकर्मियों की ज़न्नत बना।।
 
युग-युगीन है पाखंड/ धोखा धर्म के नाम पर। 
पर यह जब भी होने लगे यों सरेआम, निडर।। 
क्यों न विरोधी स्वर उभरें, चिन्तनशीलों से, प्रशासक-वर्ग से,
ताकि ऐसी जघन्य नौबतें, फिर-फिर आएं न सड़क पर।। 
 
ये स्वयंभू भगवान सब, रावण-हिरण्यकश्यपु के अवतार हैं। 
शोषित हैं अंधभक्त सारे धर्म शर्मसार है। 
पर इनके समय-समय पर उदय का, रुकता दिखता नहीं सिलसिला कहीं,
अफ़सोस! अन्धश्रद्धा का कहीं कोई नहीं उपचार है।।
 
हर समय उचित है नहीं कि छाती दिखाई जाए दो गज की। 
हर रोज परीक्षा लेती हैं परिस्थितियां आपकी सूझ-समझ की।। 
सिरफिरे पड़ोसी दुश्मनों के उकसाने का, सावधानीपूर्ण मौन ही उत्तर है,
चीन के विवाद में शुद्धतः जीत हुई है हमारे धीरज की।। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

युरिक एसिड बढ़ना है खतरनाक, जानें 5 उपाय