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कान्हा के हैं रूप अनेक, देखु मैं कौन सा रूप

कान्हा के हैं रूप अनेक, देखु मैं कौन सा रूप
, शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023 (14:50 IST)
Poem on Shri Lord Krishna: भगवान श्रीकृष्ण पर लाखों लोगों ने कविता, गजल, दोहे, लेख, कहनी, पद्य और श्लोक आदि लिखे हैं। उन्हीं में से एक कविता आप यहां पढ़ें। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के अनेक रूपों का सुंदर वर्णन किया गया है। इसमें भगवान कृष्ण के गुण और चरित्र का वर्णन देखने को मिलता है।
 
- कवयित्री: आरती प्रजापत
 
कान्हा के हैं रूप अनेक, देखु मैं कौन सा रूप
मन को भावे तेरा लड्डू रूप, पर मन बहलाए तेरा मनमोहन रूप।। 
कभी लगता जैसे मेरा सखा सा है, तो कभी प्रेमी ये मुरली मनोहर रूप।।
 
कभी लगता बलदाऊ है, तो कभी छोटा बाल ये यशोदा नंदन रूप।।  
कभी माखन चुराए चोर सा रूप, तो कभी मटकी फोड़े नटखट सा रूप।।
 
चिर चुराए छलिया सा रूप , शिकायते घर लाए बदमाशी वाला रूप।।
गैया चराने जाए वो ग्वाला रूप, दोस्ती निभाए वो सुदामा का सखा वाला रूप।।
  
राधिका के प्रेमी वाला रूप और राधा के प्रेम में वो बावरे वाला रूप।। 
रास रचाए वो मनमोहक रूप, मुरली से सबको नचाए वो बिहारी वाला रूप।।
 
गोवर्धन उठाए वो आदर्श रूप, इंद्र के क्रोध से गांव बचाए वो रक्षक वाला रूप।। 
दुष्टों को मार गिराए, कंस के काल वाला रूप।। 
रुखमा से ब्याहे वो द्वारकादिश रूप, सबका सम्मान करे वो पुरुषोत्तम रूप।  
 
चिर बढ़ाए द्रोपदी का वो वासुदेव भ्राता वाला रूप, युद्ध रुकाने को शांतिदूत वाला रूप।। 
अर्जुन के सारथि रथ हकैया वाला रूप, गीता ज्ञान सुनाया वो महान विचारों वाला रूप।।
 
सुदर्शन चक्र उठाए धर्म कि राह दिखने वाला रूप, महाभारत जिताए वो धर्मी रूप।। 
बर्बरीक को अपना नाम दिया वो खाटू श्याम वाला रूप, सबको अपना माने वो दिन दयाल वाला रूप।।  
 
और ना जाने कितने रूप है तेरे किस किस का वर्णन करूं।। 
तेरे है हज़ार रूप और है सभी पावन रूप।। 
मन को भावे तेरा लड्डू रूप, मन बहलाए तेरा मनमोहन रूप ।। 
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