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चाय न हो तो राष्ट्रीय अखबार अधूरे हैं

चाय न हो तो राष्ट्रीय अखबार अधूरे हैं
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नवीन रांगियाल

, मंगलवार, 21 मई 2024 (12:23 IST)
tea poem 
  
चाय 
देश के लिए एक संभावना है 
 
चाय न हो तो राष्ट्रीय अखबार अधूरे हैं
 
सरकार के खिलाफ उफनता विमर्श है चाय
नेताओं को दी गईं गालियों का स्वाद है
 
संभावित प्रेम
बातों की गुंजाइश है चाय
प्यार करने और साथ रहने का बहाना है
 
जहां तक ज़िंदगी की बात है
जब तुम मेरे लिए कम चीनी वाली चाय बनाती हो
तो मैं समझ जाता हूं 
कि सबकुछ ठीक नहीं है
 
चाय मिले तो सहूलियत 
न मिले तो दुश्वारियां हैं
जिंदगी की तलब है चाय
 
चाय अदरक वाली कविता है
 
अजनबी से मुलाकात है 
एक बार मिलने पर
फिर से मिलने का वादा देती है 
 
चाय हो तो अकेला आदमी उतना अकेला नहीं
जितना चाय के बगैर नज़र आता है
चाय पीता हुआ आदमी
पूरा आदमी है
 
चाय महज चाय नहीं
मिलने और बिछड़ने से पहले 
एक मुलाकात है चाय
 
क्या किसी दिन
मुझसे चाय पर मिलोगी तुम?
 
 
#औघटघाट 

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