Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कविता : देश

कविता : देश
webdunia

डॉ मधु त्रिवेदी

उजालों को सताया जा रहा है, 
अंधेरों को बसाया जा रहा है।
 
गरीबों की बढ़ी मुसीबत सुखद का, 
दिया फिर से हवाला जा रहा है।
 
कटेगा हर जगह पैसा तभी तो,
जरूरत को मिटाया जा रहा है।
 
पलटकर सामना करने लगे जब,
पड़ोसी से चिढ़ाया जा रहा है।
 
पला है मुल्क मेरे ही यहां पर, 
पलटवारे कराया जा रहा है
 
मरे जो देश सीमा पर हमारी,
दिलासा दे संभाला जा रहा है।
 
सदा से शांति का मैं दूत रहा हूं,
मुझे क्यों फिर उछाला जा रहा है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

सर्वप्रथम गणेश चतुर्थी का उपवास किसने और क्यों रखा