Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कविता: भार तो केवल श्वासों का है...

राकेशधर द्विवेदी
स्वप्न जो देखा था रात्रि में हमने 
सुबह अश्रु बन बह किनारे हो गए हैं
चांद और मंगल पर विचरने वाले हम 
आज कितने बेसहारे हो गए हैं
विकास की तालश में हमने हमेशा 
जंगलों, पहाड़ों, पठारों को गिराया 
विकसित से अति विकसित बनने के सफर में
सृष्टि के किताब के अनमोल पृष्ठों को जलाया
बरगद, नीम, पीपल को काटकर 
प्राणवायु दाता का उपहास उड़ाया
कंक्रीट के जंगलों में कैक्टस और  
बोगनवेलिया उगाया
मंगल और चंद्रमा पर बसने के प्रयास में 
धरती को मिट्टी मानुष का उपहास उड़ाया
स्वार्थ, लालच और अभिमान के मार से गर्वित हो
तमाम पशु-पक्षियों का नामो निशान मिटाया
लेकिन आज तुम हे मानव 
ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए 
हांफ रहे हो भाग रहे हो 
और उद्घाटित कर रहे हो 
इस सत्य को कि 
भार तो केवल श्वांसो का है 
बाकी सब मिथ्या है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दीवाली का नाश्ता : बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए ये आसान और मजेदार स्नैक्स

Diwali 2024: दिवाली फेस्टिवल पर बनाएं ये खास 3 नमकीन, जरूर ट्राई करें रेसिपी

Diwali 2024 : इस दीपावली अपने घर को इन DIY दीयों से करें रोशन

આગળનો લેખ
Show comments