Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कविता : शील बचाने उठ अब नारी

जयति जैन 'नूतन'
चल उठ स्त्री बांध कफन अब
कोई रक्षक नहीं आएगा
हत्या-शोषण-बलात्कार से अब
कोई तुझे नहीं बचाएगा।
 
ये कलयुग है निर्ममता यहां
स्नेह की आस किससे लगाओगी?
स्तन पर नजरें टिकाए बैठे
दु:शासन से ना बच पाओगी।
 
कैसी आस लगा रखी है तुमने
जिस्म के ठेकेदारों से?
खुद की रक्षा खुद के सिर है
शस्त्र कब तक ना उठाओगी?
 
सदियों से उपभोग की वस्तु
स्वयं को कितना सताओगी?
शील बचाने खड़क उठा लो 
कब तक बेचारी कहलाओगी?
 
वस्त्र कोई खींचेगा तुम्हारा
तुम पर मर्दानगी दिखाएगा
ऐसे बलात्कारियों को तुम
कब नामर्द-नपुंसक बनाओगी?
 
छोड़ संताप उठ जा अब भोग्या 
कोई नहीं बचाने अब आएगा
'नूतन' आगाज के साथ करो सामना
मौन ईश्वर भी सर झुकाएगा।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

एक खोया हुआ ख़ज़ाना जिसने लाओस में भारतीय संस्कृति उजागर कर दी

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दीवाली का नाश्ता : बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए ये आसान और मजेदार स्नैक्स

Diwali 2024: दिवाली फेस्टिवल पर बनाएं ये खास 3 नमकीन, जरूर ट्राई करें रेसिपी

આગળનો લેખ
Show comments