Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

मानसून पर कविता : पहली बारिश

Webdunia
-फ़खरुद्दीन सैफ़
 
मानसून का मेरे शहर में आना,
जैसे मंजिल पर पहुंचा हो कोई सफीना।
 
आज की सुबह है मस्त ताजी-ताजी,
जैसे नहाकर निकली हो कोई हसीना।
 
घटाएं ऐसी छाई हैं आसमान पर,
जैसे किसी हसीं के केश का हो लहराना।
 
पहली बारिश की मिट्टी की खुशबू, 
जैसे तेरे प्यार से फिजां का हो महक जाना।
 
आसमान पर चमकती बिजली,
लगे हैं जैसे तेरा हो आंखें मिलाना।
 
पानी बरसने की प्यारी-प्यारी आवाज, 
जैसे तेरा हौले-हौले हो हंसना।
 
ये बादलों का जोर-जोर से गरजना, 
जैसे तेरे दीदार से मेरे दिल का हो धड़कना।
 
'सैफ़' इस बारिश से सबके चेहरे खिल उठे,
गरीबों-किसानों का नहीं है खुशी का कोई ठिकाना।
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

આગળનો લેખ
Show comments