Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कविता : मोबाइल की विरासत

कविता : मोबाइल की विरासत
-सिमरन बालानी
 
कल जैसे ही हाथ में मोबाइल उठाया,
मेरा बेटा दौड़ा-दौड़ा आया।
 
'मां मोबाइल दे दो जरूरी काम है', बोला,
मेरा गुदगुदाता व चहकता मन अचानक डोला।
 
यूं तो कहने को सारी विरासत उसकी,
पर फिर यह मोबाइल की सियासत किसकी?
 
यह कैसा मायावी यंत्र है,
जिसने बड़े-छोटे को कर दिया परतंत्र है।
 
इसे हाथ में लेकर हम क्या मिसालें बनाएंगे,
'मैंने-तूने मोबाइल कितनी देर त्यागा',
क्या यह कहानी आने वाली पीढ़ी को सुनाएंगे।
 
वास्तविक छोड़ काल्पनिक में ढूंढते मौसम की बहार है,
फिर समझते हैं कि उंगलियों पर हमारे अब संसार है।
 
फूलों का महकना, चिड़ियों का चहकना,
मौसम का बहकना आज भी बरकरार है।
आज महसूस किया कि दिशाहीन हमने ही किया बच्चों को,
उनकी नहीं प्रकृति से कोई तकरार है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

किस अंगुली से किसे करें तिलक, जानिए खास जानकारी...