Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कविता : सुख का बोध

कविता : सुख का बोध
webdunia

आत्माराम यादव 'पीव'

हे जग तूने खूब दिए है 
निज अनुभव सुखी बनाने के
किस तरंग से, किस वृत्ति से
या आता सुख मयखाने से।
क्या राह मिले की
दौलत है सुख?
क्या सूखी रोटी मेहनत की है सुख?
क्या जीवन सांसों में मिलता सुख है?
या कल्पनाओं का साकार हो जाना सुख है?
सूरज की अद्‍भुत सुन्दरता
जग को आलौकित करती है
उस आभा में जो मिल जाए स्वर्णिम
क्या वह सुख का परिचय रहती है?
जब नीड़ो को पंछी सांझ ढ़ले,
चहकते वापिस आते है।
भुनसारे की चहचहाहट भी
क्या सुख का बोध कराती है।
तृण चरने ग्वालों की गाय सभी
गौशाला से जब सुबह निकलती है
अपने आंचल में भर ममता का दूध
सांझ बछड़े को पिलाने दौड़ी आती है।
बछड़ा पीवे निज ममता से गौमाता दूध लुटाती है
क्या ग्वाले का दूध दोहन, उसे सुख का बोध कराता है
किस स्वरूप में मिलता है, जाने किसको कितना सुख?
कुछ अनुभव भी तुम बतलाओं मित्रों
कैसे? और क्या-क्या? से मिला है तुमको सुख।
क्यों दुनिया में लोग सभी, सुख के दीवाने हो गए
प्यार जताना, सुख को पाना, हर दिल के फंसाने हो गए।
क्यों हरदम अपने बाहुपाश में कसकर
वह सुख का आलिंगन करना सीख गए 
क्यों सीख लिया हाथों ने सबके 
पाना सुख का कोमल स्पर्श यहां
क्यों नजरें भी सब ललचायी है
अपने में समाए सुख की मूरत यहां
होठों की थिरकन प्रेमभरी
क्यों सुख का आभास कराती है
हृदय की धड़कन चाहत में
प्रेमी के मिलने पर सुख पा जाती है
'पीव' सुख का प्यासा मैं चातक हूं
सुख ने मेरे दिन-रैन है लूटे
रात गए की रून-झुन मुझको
इन भावों को बतलावे झूठे
देखा नहीं है मैंने सुख को 
मैं सुख से अंजान हूं
रात गए तारों की झिलमिल
हो सकता है सुख का अल्पनाम हो
कही मिले सुख तो परिचय करना
पीव मिल जाना आत्माराम से
मैंने नाम सुना है अब तक तेरा
सुख अतिथि बन कभी मेरे घर आना आराम से 
मेरे अन्तस में जो पीड़ा जागे
वह मिलना चाहे जगतार से
यदि स्वभाव मेरा प्रकट हुआ तो
सुख बरसेगा जीवन में अंबार से। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

केतु के 3 अशुभ लक्षण और 5 आसान उपाय जानिए...