Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

आएगा, आएगा आने वाला: महल के इस गीत को अकेली लता मंगेशकर क्लासिक बना जाती हैं | Geet Ganga

अशोक कुमार के सच्चे अनुभव पर आधारित थी फिल्म महल की कहानी

Webdunia
सोमवार, 5 फ़रवरी 2024 (18:08 IST)
Aayega Aanewala: नहीं आने वाला, कभी नहीं आएगा। मगर हम इसी उम्मीद में बहल जाते हैं कि आने वाला, कभी न कभी, एक दिन जरूर आएगा! 75 साल पुराना गीत है यह लताजी का। 'महल' सन् 49 की फिल्म है। लताजी का यह मशहूर गीत ऐतिहासिक भी है, कालजयी भी और अनोखों में अनोखा भी।
 
इसके संगीतकार खेमचंद प्रकाश इसे फिल्म से निकालना चाहते थे, क्योंकि कथा के प्रवाह को देखते हुए यह धीमा पड़ रहा था और मुखड़े (आएगा... आएगा) की धुन के हिसाब से जरा भी मेलॉडियस नहीं था। पर लताजी ने ही अपने 'सिक्स्थ सेंस' का भरोसा करते हुए इसे बनाए रखने का आग्रह किया।
 
सब जानते हैं कि यह लताजी का सबसे ज्यादा बिकने वाला गीत रहा। अभूतपूर्व बिक्री के इस रेकॉर्ड को दशकों बाद नाजिया हसन के 'आप जैसा कोई मेरी...' (कुर्बानी) ने तोड़ा। हालांकि लताजी के इस गीत से उसकी कोई तुलना नहीं है।
 
इतना मशहूर क्यों हुआ यह गीत? क्या खास बात है इसमें? सिद्ध तो यह तक हो चुका है कि लता इसी गीत के कारण रातोरात प्रसिद्ध हुईं। तब हजारों लोगों ने रेडियो स्टेशनों को खत डालकर पूछा था कि 'आएगा... आने वाला' की गायिका कौन है...?
 
इसके पहले कि हम गीत के विस्तार में जाएं, पहले यह जान लें कि 'महल' एक कामयाब फिल्म थी। उसकी भुतही थीम, मधुबाला के बेपनाह हुस्न, अशोक कुमार की चौंकाने वाली रहस्यप्रधान एक्टिंग और अंत के पहले तक रोमांच के सफल निर्वाह ने देश को अपने तिलिस्म में बांध लिया था।
 
'महल' स्वयं अशोक कुमार द्वारा निर्मित फिल्म थी और जैसा कि स्वयं दादा मुनि ने इस लेखक को बताया था, वह उनके सच्चे अनुभव पर आधारित थीं। फिल्म निर्माण के 1 साल पहले स्वयं उन्होंने 'लोनावला' के एक बंगले में नारी प्रेतात्मा से साक्षात्कार किया था। फर्क यह रहा कि जब उन्होंने कमाल अमरोही को 'महल' की कथा लिखने को कहा तो प्रेतात्मा वाले तत्व को इंसानी साजिश का मोड़ दे दिया गया।
 
गीत की लोकप्रियता का एक कारण यह है कि यह 3 धुनों में चलता है। प्रारंभ के हिस्से की धुन अलग है 'आएगा' का क्षेपक अलग है और अंतरों की धुन असल मेलडी को लिए हुए है। आप इन अंतरों के बोल पर गौर करेंगे तो जाहिर होगा कि वे स्वयं रहस्य का पुट लिए हुए हैं। 'दीपक बगैर कैसे, परवाने जल रहे हैं/ कोई नहीं चलाता, और तीर चल रहे हैं/ मांझी बगैर नैया, साहिल को ढूंढती है' वगैरह।
 
आप देखते हैं, फिल्म में झूले (दुलार) पर झूलती सुंदरी किस तरह अचानक गायब हो जाती है और खाली झूला चलता रहता है। इन सबसे बड़ी बात है स्वयं गीत का संयोजन! गीत का प्रारंभिक हिस्सा, रात के सन्नाटे को बुनता हुआ, धीमी आवाज में यूं आगे बढ़ता है, जैसे किसी किले की विराट दीवार से लगकर कोई गैर-दुनियावी शै अंधेरे में सरकते जा रही है और फिर अचानक फूट पड़ती है- 'आएगा, आएगा आएगा आने वाला।
 
अचानकता का यह तत्व ही (रोमांचकता जबकि साथ है ही), इस गीत का 'पापुलिस्ट टच' है, मगर इस सबके बावजूद सचों का सच यह है कि लता अगर नहीं है, तो यह गीत कुछ नहीं है। अकेली लता इसे क्लासिक बना जाती हैं।
 
पढ़िए गीत, जिसे नक्शब ने लिखा था-
 
खामोश है जमाना, चुपचाप हैं सितारे
आराम से है दुनिया, बेकल है दिल के मारे
ऐसे में कोई आहट इस तरह आ रही है
जैसे कि चल रहा हो मन में कोई हमारे
या दिल धड़क रहा हो इस आस के सहारे
और मुखड़ा फूट पड़ता है, जैसे ऐन आधी रात को, जब घड़ी ठीक बारह बजाती है और खंडहर में उल्लू पंख फड़फड़ाता है, कोई आत्मा अपने प्रेत-प्रेमी के इंतजार में बोल पड़ी है-
 
आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आने वाला आएगा, आएगा...
(आगे के अंतरे में हमारे दैनिक जीवन के यथार्थ उलट जाते हैं और बिना कारण के कार्य होते दिखते हैं, जैसे-)
 
दीपक बगैर कैसे, परवाने जल रहे हैं
कोई नहीं चलाता, और तीर चल रहे हैं
तड़पेगा कोई कब तक, बेआस, बेसहारे
यह कह रहे हैं मुझसे दिल के मेरे इशारे
आएगा, आएगा, आएगा,
आएगा, आने वाला, आएगा, आएगा...
 
भटकी हुई जवानी, मंजिल को ढूंढती है
मांझी बगैर नैया, साहिल को ढूंढती है
क्या जाने दिल की कश्ती, कब तक लगे किनारे
लेकिन ये कह रहे हैं, दिल के मेरे इशारे
आएगा, आएगा, आएगा,
आएगा, आने वाला आएगा, आएगा...
 
 
इस गीत पर टिप्पणी करते हुए खिरकिया (म.प्र.) के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य श्री आर.के. शर्मा अपने खत में लिखते हैं- मौत, पुनर्जन्म, मरणोत्तर जीवन, अबूझ रहस्य और शाश्वत प्रतीक्षा जैसे विषयों में हर मनुष्य का जन्मजात रुझान होता है। यह गीत इन प्रसुप्त आदिम स्मृतियों को झकझोरता है और हम अपनी प्रीतिकर जड़ों से टकराने लगते हैं। यही कारण है कि यह गीत हमें भाता है। हम इसी में बहल जाते हैं, क्योंकि नहीं आएगा, न आने वाला।
(अजातशत्रु द्वारा लिखित पुस्तक 'गीत गंगा खण्ड 1' से साभार, प्रकाशक: लाभचन्द प्रकाशन)

सम्बंधित जानकारी

बॉलीवुड हलचल

एजाज खान के इंस्टाग्राम पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स, चुनाव में मिले सिर्फ 155 वोट, यूजर्स ने लिए मजे

पुष्पा 2 : द रूल के गाने किसिक का प्रोमो रिलीज, अल्लू अर्जुन-श्रीलीला की केमिस्ट्री ने मचाया धमाल

IFFI 2024 : रणदीप हुड्डा ने की वीर सावरकर की तारीफ, बोले- स्वतंत्रता के लिए हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया

धमाल मचाने के लिए तैयार हैं राम चरण, इस दिन यूएस में होगा गेम चेंजर का प्री-रिलीज इवेंट

फिल्म डिस्पैच में पत्रकार की भूमिका में नजर आएंगे मनोज बाजपेयी, इस दिन रिलीज होगी फिल्म

सभी देखें

जरूर पढ़ें

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

આગળનો લેખ
Show comments