Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

विश्व पुस्तक मेले में छाया रहेगा किताबों का कस्बा...

विश्व पुस्तक मेले में छाया रहेगा किताबों का कस्बा...
- संतोष कुमार


किताबगंज। 6-14 जनवरी 2018 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान हॉल नंबर 12A स्टॉल नंबर 247 से 268 तक राजकमल के इस खूबसूरत कस्बे में आप किस्सों-कहानियों, यादों-तरानों के साथ किताबों की बस्ती के कुछ खास बाशिंदों से भी मिल पाएंगे, जहां पर्यावरण और जलवायु को ध्यान में रखते हुए पुरानी और नई चीजों को संजोया जाएगा।
 
स्टॉल के मुख्य आकर्षण : किताबों पर विशेष छूट (थीम के हिसाब से पर्यावरण की सभी किताबों पर विशेष छूट दी जाएगी, साथ ही कुछ चुनिंदा किताबों पर एक के साथ एक फ्री किताब भी दी जाएगी)। स्टॉल में कुछ बेहतरीन सेल्फी पॉइंट का भी इंतजाम किया है, जहां आप अपनी और अपने दोस्तों की यादगार सेल्फी ले सकते हैं। ऑडियो बुक (हिन्दी में पहली बार अब सुनिए किताबें)। इस पुस्तक मेले में आप किताबों को पढ़ने के साथ ही उन्हें सुन पाने का नायब अनुभव ले सकते हैं।
 
एक हफ्ते तक चलने वाले विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन द्वारा 50 से अधिक किताबों का लोकार्पण होगा जिनमें से सुभाष चन्द्र कुशवाहा की नई किताब 'अवध का किसान विद्रोह', विवेक अग्रवाल की बॉम्बे की बार बालाओं की जिंदगी को वास्तविक ढंग से सामने ला रही किताब 'बॉम्बे बार', ज्यां द्रेज और अमर्त्य सेन की किताब 'एन अनसर्टेन ग्लोरी : इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन' का हिन्दी अनुवाद 'भारत और उसके विरोधाभास', डॉ. अजय सोडानी की हिमालय-यात्रा श्रृंखला की दूसरी किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर', लोकप्रिय उपन्यास 'माई' की मशहूर लेखिका गीतांजलिश्री का नया उपन्यास 'रेत समाधि', रामशरण जोशी की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा 'मैं बोनसाई अपने समय का' और साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास 'कलिकथा वाया बायपास' की विख्यात लेखिका अलका सरावगी का एक और दिलचस्प उपन्यास 'एक सच्ची-झूठी गाथा' भी पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगा।
 
इनके अतिरिक्त राष्ट्रवाद के तीखे मुद्दों पर जेएनयू में हुए 13 व्याख्यानों का संकलन रविकांत द्वारा संपादित किताब 'आज के आईने में राष्ट्रवाद' नाम से आएगा। शिवरतन थानवी का डायरी संकलन 'जग दर्शन का मेला' एक सजग शिक्षक के नजरिए से शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्यबोध और व्यावहारिक समस्याओं से परिचय कराती है। शंखघोष की गूढ़ कविताएं 'मेघ जैसा मनुष्य', ज्ञान चतुर्वेदी का मार्मिक उपन्यास 'पागलखाना', शीतांशु की गहन शोध के बाद लिखी गई किताब 'कंपनी राज और हिन्दी' भी पुस्तक मेले में लोकार्पित होंगी।
 
राजकमल प्रकाशन के बारे में :
 
हिन्दी प्रकाशन जगत में राजकमल प्रकाशन समूह ही एकमात्र ऐसा प्रकाशन है जिसकी पुस्तकों का समाज, साहित्य, संस्कृति, कला, भाषा, इतिहास, विज्ञान आदि क्षेत्रों में संवाद और सृजनात्मकता स्थापित करने में सर्वाधिक योगदान है। अपने 70 सालों के सफर में 'समूह' ने पुस्तकों और पाठकों के बीच के जिस रिश्ते को जिया और रचा है, वह उसकी युगदृष्टि का ही परिचय है।
 
20वीं सदी का समय हो या 21वीं सदी का, 'समूह' ने बगैर किसी समझौते के पुस्तकों की गुणवत्ता और पाठकीयता को ही सबसे ऊपर रखा। यही कारण है कि आज जहां संचार-समय में चीजें इतनी तेजी से घटित हो रही हैं कि बहुत कुछ देर तक टिक नहीं पा रहा, वहां राजकमल प्रकाशन समूह एक पुस्तक-संस्था के रूप में विश्वसनीयता की इबारत नजर आता है।
 
किताबगंज : कस्बा किताबों वाला में क्या होगा खास... 
 
*थीम के हिसाब से पर्यावरण की सभी किताबों पर विशेष छूट दी जाएगी, साथ ही कुछ चुनिंदा किताबों पर एक के साथ एक फ्री किताब भी दी जाएगी।
 
*इस साल 'विश्व पुस्तक मेले' में राजकमल प्रकाशन 50 से अधिक किताबों का लोकार्पण करने जा रहा है।
 
*ऑडियो बुक- हिन्दी में पहली बार अब सुनिए किताबें।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

संक्रांति किसे कहते हैं, क्यों मनाई जाती है, जानें महत्व