Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कौन थी रानी पद्मावती, जानिए पूरी कथा

कौन थी रानी पद्मावती, जानिए पूरी कथा
इन दिनों जबकि हिन्दी फिल्म पद्मावती के चर्चे चारों तरफ हैं। विवाद और सच के बीच डोल रही इस फिल्म के प्रमुख किरदार रानी पद्मिनी को लेकर संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है। आइए जानें कि कौन थीं रानी पद्मावती.... 
 
 पद्मिनी चित्तौड़ की रानी थी। पद्मिनी को पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है। वह 13वीं-14वीं सदी की महान भारतीय रानी (रानी) है। इतिहास में रानी पद्मावती की सुंदरता के साथ शौर्य और बलिदान के भी विस्तृत वर्णन मिलते हैं। 
रानी पद्मिनी के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई।

अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आंच नहीं आने दी। यही घटना इतिहास में रानी के जौहर के रूप में प्रस्तुत है।

सन् 1303 में चित्तौड़ के लूटने वाला अलाउद्दीन खिलजी था जो राजसी सुंदरी रानी पद्मिनी को पाने के लिए लालयित था। श्रुति यह है कि उसने दर्पण में रानी की प्रतिबिंब देखा था और उसके सम्मोहित करने वाले सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गया था। लेकिन कुलीन रानी ने लज्जा को बचाने के लिए जौहर करना बेहतर समझा।
 
पद्मिनी सिंहल द्वीप (श्रीलंका) की अद्वितीय सुंदरी राजकन्या तथा चित्तौड़ के राजा भीमसिंह अथवा रत्नसिंह की रानी थी। उसके रूप, यौवन और जौहर व्रत की कथा, मध्यकाल से लेकर वर्तमान काल तक चारणों, भाटों, कवियों, धर्मप्रचारकों और लोकगायकों द्वारा विविध रूपों में व्यक्त हुई है।
 
सुल्तान के साथ चित्तौड़ की चढ़ाई में उपस्थित अमीर खुसरो में एक इतिहासलेखक की स्थिति से न तो 'तारीखे अलाई' में और न सहृदय कवि के रूप में अलाउद्दीन के बेटे खिज्र खां और गुजरात की रानी देवलदेवी की प्रेमगाथा 'मसनवी खिज्र खां' में ही इसका कुछ संकेत किया है। इसके अतिरिक्त परवर्ती फारसी इतिहास लेखकों ने भी इस संबध में कुछ भी नहीं लिखा है। केवल फरिश्ता ने चित्तौड़ की चढ़ाई (सन् 1303) के लगभग 300 वर्ष बाद और जायसीकृत 'पद्मावत' (रचनाकाल 1540 ई.) की रचना के 70 वर्ष पश्चात् सन् 1610 में 'पद्मावत्' के आधार पर इस वृत्तांत का उल्लेख किया जो तथ्य की दृष्टि से विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता। 
 
पद्मावत, तारीखे फरिश्ता और इतिहासकार टाड के संकलनों में तथ्य केवल यहीं है कि चढ़ाई और घेरे के बाद अलाउद्दीन ने चित्तौड़ को विजित किया, वहां का राजा रत्नसेन मारा गया और उसकी रानी पद्मिनी ने राजपूत रमणियों के साथ जौहर की अग्नि में आत्माहुति दी। इसके अतिरिक्त अन्य सब बातें कल्पित हैं।

एक संस्कारी और वीर नारी के चरित्र पर किसी भी तरह की काल्पनिकता समूचे भारतीय समाज के लिए असहनीय है लेकिन फिल्म को देखे बिना यह अनुमान लगाना भी उचित नहीं है कि इसमें रानी के बारे में अनर्गल फिल्मांकन है। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

आप हैरान रह जाएंगे गाय के बारे में 11 रोचक तथ्य जानकर...