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देश-विदेश के 10 कहानीकारों को मिला डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार

देश-विदेश के 10 कहानीकारों को मिला डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार

WD Feature Desk

, सोमवार, 12 फ़रवरी 2024 (18:16 IST)
  • कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं डॉ. रेणु जैन, कुलपति, देअविवि. 
  • निर्णायक मंगला रामचंद्रन, पद्मा सिंह और सीमा व्यास 
  • दुबई, जयपुर, ग्वालियर, भोपाल, जोधपुर और इंदौर की कथाकारों ने जीता पुरस्कार 
  • वामा साहित्य मंच और साहित्यकार डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा के सौजन्य से आरंभ हुआ कहानी पुरस्कार
  • वामा साहित्य मंच के बैनर तले आयोजित हुआ कार्यक्रम
 
इंदौर। 11 फरवरी 2024, रविवार को मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में प्रेम कुमारी नाहटा कहानी प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरित किए गए. मुख्य अतिथि डॉ. रेणु जैन, कुलपति, देअविवि. ने इस अवसर पर कहा कि प्रतियोगिता का यह प्रथम वर्ष है. निर्णायक मंगला रामचंद्रन, पद्मा सिंह और सीमा व्यास थे।
 
'कहानी जीवन की प्रतिछाया है और जीवन स्वयं एक अधूरी कहानी है, एक शिक्षा है जो उम्र भर मिलती है और समाप्त नहीं होती। कहानी के कुछ विशेष तत्‍व होते हैं जो कहानी में रस भरते हैं। कहानी वह ध्रुपद की तान है, जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी प्रतिभा दिखा देता है, चित्‍त को मधुरता से भर देता है।'
 
वामा साहित्य मंच के बैनर तले आयोजित इस प्रतिस्पर्धा में देश और विदेश से 74 प्रविष्टियां आई थीं जिसमें से 10 कहानियों का चयन पुरस्कार हेतु किया गया। दुबई, जयपुर, ग्वालियर, भोपाल, जोधपुर और इंदौर की कथाकारों ने यह पुरस्कार जीता। 
 
आरंभ में अतिथि का स्वागत जयश्री नाहटा और रागिनी सिंह ने किया। स्वागत उद्बोधन अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया। डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा ने आत्मकथ्य प्रस्तुत किया।  प्रतियोगिता प्रभारी पद्मा राजेंद्र ने भी रूपरेखा प्रस्तुत की। निर्णायकों ने भी अपनी बात रखीं।  सरस्वती वंदना संगीता परमार, आभार डॉ. मुक्ता जैन और संचालन स्मृति आदित्य ने किया। इस अवसर पर शहर के कई साहित्यकार उपस्थित रहे।
 
डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा कहानी पुरस्कार 
मुख्य अतिथि डॉ. रेणु जी ने कहा कि वामा में आकर उन्हें हर बार ऐसा लगता है कि वे घर पर ही आईं हैं। 
कहानियों का अपना संसार होता है। वे अंदर तक झकझोर देती हैं। ये बहुत अच्छी शुरुआत की गई है। बधाई देते हुए कहा कि सपना लक्ष्य को पाने की सीढ़ी है। पूरी ताक़त से जुट जाएं। दरवाज़ा ज़रूर खुलेगा।

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