Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

स्लोगन ऐसा जो जिंदगी बदल दे, सोच बदल दे, जरूरत हो तो सरकार बदल दे

नवीन रांगियाल
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘A picture is worth a thousand words’  यानी एक तस्‍वीर एक हजार शब्‍दों के बराबर या उससे ज्‍यादा का अर्थ रखती है। लेकिन इस बदलते दौर में इस कहावत को उल्‍टा कर कर यूं कहा जा सकता है कि कोई एक शब्द, कोई एक वाक्य, एक पंक्‍ति, किसी संस्‍था, कंपनी या पार्टी की पूरी छवि गढ़ सकती है, उसे बदल सकती है या बिगाड़ सकती है। दरअसल बात पंच लाइन, स्‍लोगन या नारों को लेकर हो रही है।

एक पंचलाइन किसी मल्‍टीनेशनल कंपनी या किसी राजनीतिक पार्टी के लिए कितनी अहम होती है, यह इस दौर में देखने को मिला है। पंच लाइन से एक उत्‍पाद की लोकप्रियता इस कदर बढ़ जाती है कि वो हर किसी की जुबान पर होता है, वहीं एक पंच लाइन, स्‍लोगन या कहें नारे से केंद्र में सरकार बन जाती है और गिर भी जाती है। नतीजा यह है एक क्रिएटिव पंचलाइन लिखने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां काम करती हैं, उसके लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। आइए जानते हैं कितनी अहम है और कैसे प्रभावित कर सकती हैं एक छोटी सी पंचलाइन या कोई नारा!

बात साल 2014 की है। देश की राजनीति में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ। नरेंद्र मोदी नाम की एक लहर चली और इस लहर में कई पार्टियां और नेता बह गए। देश ने पहली बार चुनाव को एक बड़े मैनेजमेंट की तरह देखा, इसमें सामान्‍य प्रचार से कहीं ज्‍यादा आईटी सेल, सोशल मीडिया कैंपेन जैसे टर्म सामने आए। फेसबुक, ट्विटर, इंस्‍टाग्राम, वीडियो का सहारा लिया गया, लेकिन इन सभी माध्‍यमों पर जो सबसे ज्‍यादा नजर आया वो था एक छोटा सा नारा। नारा था ‘अच्‍छे दिन आने वाले हैं’ 2014 में यह लाइन हर किसी की जुबान पर थी, इस नारे की ध्‍वनि ने पूरे देश के लिए एक उम्‍मीद के तौर पर काम किया। जो प्रभाव इस लाइन का हुआ वो सभी के सामने है, केंद्र में भारी बहुमत से मोदी सरकार बनी। ऐसी ही एक लाइन ने चमत्‍कृत रूप से नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में इजाफा किया। नारा था हर हर मोदी, घर-घर मोदी। इसके बाद मोदी सरकार का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ भी बेहद प्रभावी रहा। 

यह पहली बार नहीं था कि नारों ने चुनाव में इतनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई हो, इसके पहले देश में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगाई इमरजेंसी के बाद विपक्षियों ने कांग्रेस पर हमला बोला था। इंदिरा गांधी के लिए नारा दिया गया ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’। हालांकि 1980 में अंदरूनी खींचतान के कारण जनता पार्टी के टूट जाने के बाद कांग्रेस ने इसके जवाब में जनसंघ पर तंज कसा और कहा, ‘सरकार वो चुनें जो चल सके’

देखो इंदिरा का ये खेल
इसके पहले इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। इंदिरा गांधी ने हमदर्दी बटोरी थी कि ‘वो कहते हैं कि इंदिरा हटाओ, हम कहते हैं गरीबी हटाओ’  विरोधियों ने नारा दिया ‘देखो इंदिरा का ये खेल, खा गई राशन, पी गई तेल’ हालांकि पांचवी लोकसभा के नतीजों में कांग्रेस ने 518 में से 352 सीटों पर जीत मिली।

इसी तरह 2004 में लोकसभा चुनवों के दौरान यूपीए गठबंधन में कांग्रेस का नारा था 'कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ'। सभी को एनडीए सरकार की उम्‍मीद थी लेकिन 13 मई को चुनाव परिणाम में भाजपा का शाइनिंग इंडिया हवा हो गया और कांग्रेस ने 218 सीटों पर जीत हासिल की।

उत्‍तर प्रदेश में मायावती खासतौर से दलितों और पिछडे वर्ग की पार्टी मानी जाती है, लेकिन मायावती ने ब्राहमणों को अपनी तरफ करने के लिए नारा दिया था साल 2007 में ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है’ का नारा दिया। कमाल देखिए कि इसके बाद बसपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी और जवाहर लाल नेहरु के दिनों में भी नारों का करिश्‍मा देखा गया।

हमारा बजाज
जितनी अहमियत नारों की है उतनी ही निजी उत्‍पादों के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाली पंचलाइन का भी है। अपने बचपन में लौटेंगे तो एक धुन सुनाई देगी, बजाज स्‍कूटर के साथ सुनाई आएगा ‘हमारा बजाज’ यह वह दौर था जब स्‍कूटर से लोग चलते थे और बजाज का स्‍कूटर बेहद लोकप्रिय था।

बीमा के लिए काम करने वाली एलआईसी का स्‍लोगन अब भी कान में गूंजता है, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी। कई बीमा कंपनियां आई लेकिन वैसा असर नहीं छोड़ सकीं। पेप्‍सी ने ‘यही है राइट चॉइस बेबी’ कहा तो कोक उसके जवाब में ‘ठंडा मतलब कोकाकोला’ लेकर आया। इन लाइनों ने कोल्‍ड्रिंक की दुनिया को बाजार में स्‍थापित किया। ‘अमूल द टेस्‍ट ऑफ इंडिया’ अभी भी पोस्‍टर पर लिखा दिख जाता है, मानो यह सच में इंडिया का टेस्‍ट हो। सर्फ एक्‍सल का ‘दाग अच्‍छे हैं’ पंचलाइन ने न सिर्फ सर्फ की लोकप्रियता बढाई, बल्‍कि इस लाइन को कई संदर्भ में उपयोग किया गया, यह राजनीति में भी उपयोग हुआ। बाजार का असर सेना पर भी नजर आया। जब बाजार में नए नए स्‍लोगन आ रहे थे तो इंडियन आर्मी ने भी अपने विज्ञापनों में लिखा ‘डू यू हैव इट इन यू’

मोबाइल सेवाओं से लेकर इलेक्‍ट्रॉनिक के तमाम उत्‍पादों तक। बैंक संस्‍थानों से लेकर खाने-पीने के तरह-तरह के प्रोडक्‍टस में पंचलाइन का महत्‍व अब तक कायम है, एक अच्‍छी पंचलाइन ने प्रोडक्‍ट की पहचान बढाई तो एक अच्‍छे नारे ने सरकारी तंत्र को भी प्रभावित किया। यानी एक छोटी सी लाइन बाजार को कैप्‍चर करने की ताकत रखती है तो वहीं एक नारा आपका प्रधानमंत्री बदल सकता है।

दरअसल व्यापार में असली नारा वही है जो एक आम आदमी के दिल को छू जाए, उसे प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित करे लेकिन साथ ही किसी कंपनी के संदर्भ में कोई भी पंच लाइन समस्त कर्मचारियों में एकजुटता और उनके काम के प्रति उत्साह को दर्शाती है, वहीं राजनीति के बारे में कुछ भी तय शुदा बात नहीं कही जा सकती, इस क्षेत्र में टाइमिंग सही होना जरूरी है। साथ ही सामने वाले की कमजोर नब्ज को पहचानना भी उतना ही जरूरी है।

बाकि तो यह सुनने वाले के 'मन' पर निर्भर करता है कि उसे कब, कौन सी बात, कैसे और क्यों अच्छी लग जाए। वास्तव में शाब्दिक अलंकरण नहीं बल्कि सरल, सहज,सच्ची, स्पष्ट और सटीक बात जो दिल से निकलती है वह दिल तक अवश्य पंहुचती है, आकर्षित करती है, मोहित करती है। यही नारों यानी स्लोगन की ताकत है।   

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दीवाली का नाश्ता : बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए ये आसान और मजेदार स्नैक्स

Diwali 2024: दिवाली फेस्टिवल पर बनाएं ये खास 3 नमकीन, जरूर ट्राई करें रेसिपी

Diwali 2024 : इस दीपावली अपने घर को इन DIY दीयों से करें रोशन

આગળનો લેખ
Show comments