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Munshi Premchand Quotes: हिन्दी साहित्य के उपन्यास सम्राट, मुंशी प्रेमचंद के 10 अनमोल विचार, ये विचार आज भी हैं प्रासंगिक

ये विचार आज भी देते हैं प्रेरणा, सिखाते हैं ज़िन्दगी का सबक

Motivational quotes hindi

WD Feature Desk

, मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (18:03 IST)
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Munshi Premchand Quotes: बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को पैदा हुए इस लेखक ने अपनी रचनाओं के लिए ब्रिटिश हुकूमत की सजा भी भोगी, लेकिन पीछे नहीं हटे। वह नवाब राय, धनपत राय की जगह प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे। आधुनिक भारत के शीर्षस्थ साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की रचना दृष्टि साहित्य के विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त हुई है। उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख संस्मरण आदि अनेक विधाओं में उन्होंने साहित्य सृजन किया।ALSO READ: इन 11 जगहों पर रहना चाहिए मौन, वर्ना पड़ सकता है पछताना

आइए जानते है मुंशी प्रेमचंद के ये अनमोल विचार:
1. आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म और अधिकार है।
2. सत्य की एक चिंगारी, असत्य के पहाड़ को भस्म कर सकती है।
3. अंधी प्रशंसा अपने पात्र को घमंडी और अंधी भक्ति धूर्त बनाती हैं।
4. अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।
5. माँ की ‘ममता’ और पिता की ‘क्षमता’ का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है।
6. सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य-पथ पर अडिग रहते हैं।
7. जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।
8. प्रेम एक बीज है, जो एक बार जमकर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ता है।
9. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती है।
10. मन एक डरपोक शत्रु है जो हमेशा पीठ के पीछे से वार करता है।




 

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