Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ठुमरी, ख्‍याल से लेकर अभंग तक, आज तक नहीं हुआ पं भीम सेन जोशी जैसा कोई शास्‍त्रीय संगीत का उस्‍ताद

Webdunia
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022 (12:31 IST)
क्‍लासिकल संगीत की जब भी बात होती है सबसे पहले पंडि‍त भीमसेन जोशी का नाम आता है। भजन हो, अभंग हो या कोई शास्‍त्रीय राग।  कर्नाटक संगीत हो या हिंदुस्‍तानी संगीत। भीम सेन जोशी इन विधाओं के उस्‍ताद माने जाते हैं। आज पंडि‍त भीम सेन जोशी का जन्‍मदिन है, आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्‍त बातें।

कर्नाटक के गड़ग में 4 फरवरी 1922 को भीमसेन जोशी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम गुरुराज जोशी था, जो कि स्थानीय हाई स्कूल हेडमास्टर और कन्नड़, अंग्रेजी और संस्कृत के विद्वान थे।

भीमसेन जोशी को संगीत विरासत में मिला था, क्‍योंकि उनके परिवार में तकरीबन सभी संगीत से जुड़े रहे हैं। भीमसेन जोशी किराना घराने के शास्त्रीय गायक थे।

उन्होंने महज 19 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। और तो और वो पूरे सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। भीमसेन जोशी ने न सिर्फ कर्नाटक को बल्कि पूरे हिंदुस्तान को अपनी गायन शैली से गौरवान्वित किया है।

देश दुनि‍या में संगीत और गायन को लेकर भारत का नाम करने के लिए भीमसेन जोशी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और इसके अलावा कई और अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है।

भीमसेन जोशी की गिनती देश-विदेश में लोकप्रिय हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान गायकों में गिनती की जाती है। भीमसेन जोशी की संगीत में रुचि बचपन से ही थी। वो किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे।

साल 1932 में वो गुरु की तलाश में अपने घर से निकल गए थे। जिसके बाद अगले दो वर्षों तक वो बीजापुर, पुणे और ग्वालियर में रहे। ग्वालियर में उन्होंने उस्ताद हाफिज अली खान से भी संगीत की शिक्षा ली। अब्दुल करीम खान के शिष्य पंडित रामभाऊ कुंडालकर से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शुरुआती शिक्षा ली।

साल 1936 में पंडित भीमसेन जोशी एक जाने-माने खयाल गायक थे। उन्हें खयाल के साथ-साथ ठुमरी और भजन में भी महारत हासिल था। भीमसेन जोशी ने दो शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी सुनंदा कट्टी थी, जिनके साथ उनकी शादी साल 1944 में हुई थी। सुनंदा से उन्हें 4 बच्चे हुए, राघवेंद्र, उषा, सुमंगला और आनंद।

1951 में उन्होंने कन्नड़ नाटक ‘भाग्य श्री’ में उनकी सह-कलाकार वत्सला मुधोलकर से शादी कर ली थी। लेकिन उन्होंने अपनी पहली पत्नी को न तो तलाक दिया था और न ही उनसे अलग हुए थे। वत्सला से भी उन्हें 3 बच्चे हुए, जयंत, शुभदा और श्रीनिवास जोशी। समय बीतने के साथ ही उनकी दोनों पत्नियां एक ही साथ रहेने लगीं और दोनों परिवार भी एक हो गए। लेकिन बाद में जब उन्हें लगा कि ये ठीक नहीं है तो उनकी पहली पत्नी अलग हो गई और लिमएवाडी, सदाशिव पेठ, पुणे में किराये के मकान में रहने लगीं।

भीमसेन जोशी ने साल 1941 में महज 19 साल की आयु में स्टेज पर अपनी पहली प्रस्तुति दी थी। उनका पहला एल्बम 20 साल की उम्र में निकला था जिसमें कन्नड़ और हिंदी के कुछ धार्मिक गीत थे।

इसके दो साल के बाद ही वो मुंबई में एक रेडियो कलाकार के तौर पर काम करने लगे थे। पंडित भीमसेन जोशी ने कई फिल्मों के लिए भी गाने गाए जिनमें तानसेन, सुर संगम, बसंत बहार और अनकही शामिल हैं। भीमसेन जोशी ने कई रागों को मिलाकर कलाश्री और ललित भटियार जैसे नए रागों की भी रचना की। 24 जनवरी 2011 को उनका देहांत हो गया। लेकिन आज भी उनका नाम संगीत के इतिहास में बेहद अदब के साथ लिया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दीवाली का नाश्ता : बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए ये आसान और मजेदार स्नैक्स

Diwali 2024: दिवाली फेस्टिवल पर बनाएं ये खास 3 नमकीन, जरूर ट्राई करें रेसिपी

Diwali 2024 : इस दीपावली अपने घर को इन DIY दीयों से करें रोशन

આગળનો લેખ
Show comments