घर में जब खुद की शादी की चर्चा होती है तो लगता है जैसे इलेक्शन का टिकट मिल गया हो,
जब घर वाले लड़की देखने जाते हैं तो लगता है.. कि प्रचार की धूम मची हो
रिश्ता पक्का होने पर लगता है कि जैसे MLA बन गए हों
और शादी के वो 2-4 दिन लगता है जैसे हम मुख्यमंत्री बन गए हों
और शादी के 1 साल बाद लगता है कि जैसे कोई “घोटाला” करके फंस गए हों !!!
मोरल ऑफ द स्टोरी : शादी बस शादी के दिन ही अच्छी लगती है...