इन्दौरी होने का सौभाग्य बहुत कम लोगों के नसीब में है।
हुकुमचंद पुराण के पेड़ा खंड के अनुसार जो व्यक्ति पिछले जन्म में घर आए मेहमान का स्वागत पोहे और जलेबी से करते हैं, उन्हें इंदौर में पैदा होने का सौभाग्य मिलता है।
जो किसी गरीब को पोहे जलेबी का नाश्ता रविवार की सुबह और साप्ताहिक दिनों में दोपहर को सेव परमल का नाश्ता कराता है, उसे जीवन में एक बार इंदौर की पुण्यभूमि के दर्शन का लाभ मिलता है।
जो महिला रविवार को दाल बाफले बना कर पहले श्रीकृष्ण जी को भोग लगाएं और पश्चात स्वयं सेवन करे,
उसे इंदौर में जन्म लेने का वरदान मिलता है।
इन्दौरी होना अपने आप में एक अलग अनुभूति है।
धैर्य और दृढ़ निश्चय के धनी इंदौरी 45 डिग्री की गर्मी से लेकर 5 डिग्री की ठंड तक में अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होते। भीषण गर्मी में भी हम दृढ़प्रतिज्ञ सज्जन कचोरी, समोसे और पेटिस की कढ़ाई के पास उतनी ही दृढ़ता से खड़े रहते हैं, जितनी दृढ़ता से रावण की सभा में अंगद खड़ा था।
गर्व से कहें हम इन्दौरी है।