Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे : आनंद लीजिए मजेदार कविता का

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे : आनंद लीजिए मजेदार कविता का
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे हैं
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है,
चलो, फलों से ही शुरू कर लेते हैं,
एक एक कर सबके मजे लेते हैं...
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती है,
कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
सफलता के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं,
आटे में नमक तो चल जाता है,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छठी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते हैं,
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आ जाता है,
भाई साहब अब कुछ भी हो,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है, जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है, पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है, सभी बहरे है, बावरे हैं ये सब हिंदी के मुहावरे हैं...
 
ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं..!
क्या किसी और भाषा में हम ऐसी मनोहारी गाथा लिख सकते हैं, नहीं। हिन्दी हमारी प्यारी भाषा।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

शर्तिया लोटपोट करेगा यह जोक : नंदू ने लिखा गब्बरसिंह पर निबंध