मांगीलाल कम्पनी के सभी कामों से बचता था लेकिन बॉस को मक्खन लगाने में माहिर था.....
वह बॉस के आदेश के अनुसार सभी काम करता था। ऑफिशियल काम को छोड़ कर वह बॉस के सभी निजी काम जैसे उनके बेटे की कॉलेज फीस जमा करना बेटी की डांस कॉस्ट्यूम खरीदना उनकी कार की सर्विसिंग का काम
उनके बेटे का प्रोजेक्ट पूरा करना, यानी लगभग सब कुछ करता था......जाहिर था कि वह बॉस का पसंदीदा था उसे सभी प्रोत्साहन और इन्क्रीमेंट समय से मिलता था और दूसरी तरफ बाक़ी कर्मचारी,ऑफ़िशियल काम पूरा करने पर भी बॉस की डांट खाते रहते थे...
एक दिन अचानक बॉस की मां के निधन की खबर मिली......सारे कर्मचारी बहुत उदास चेहरे के साथ उनके घर भागे जैसे उनकी ही मां का देहांत हो गया हो....और हैरानी की बात यह थी कि ऐसे वक्त में वो चापलूस मांगीलाल बॉस के घर के आस पास भी नहीं देखा गया....जिसके बारे में हर कोई कयास लगा रहा था कि वह अनुपस्थित कैसे..अब अन्य कर्मचारियों ने माल्यार्पण से सुसज्जित वाहन की व्यवस्था की और बॉस की मां को श्मशान ले जाया गया...लेकिन जब सब शवदाह गृह पहुंचे तो पहले से ही 16 शव बिजली से जलने के लिए कतार में थे.....प्रत्येक शरीर को जलने में लगभग एक घंटा लग रहा था .... यानी कि कुल मिलाकर सूर्यास्त से पहले दाह संस्कार संभव नहीं था.....बॉस का चेहरा लाल हो गया था और बाक़ी सब भी परेशान थे......अचानक कतार में पड़े 16 शवों में से दूसरा शव उठ बैठा .......
उपस्थित सब लोग मारे डर के भाग खड़े हुए.....
बाद में पता चला कि वह कोई शव नहीं था बल्कि वही "मांगीलाल" था..... उसने तुरंत बॉस को बताया ...
सर,माफ़ी चाहता हूं कि सुबह से आपके घर नहीं आ सका.....
क्योंकि जैसे ही आपकी माता जी के देहांत का समाचार सुना और देखा कि सब
आपके घर की तरफ भाग रहे हैं तो ख्याल आया कि पहले यहां का भी इंतजाम देख लूं और देखा तो पाया कि जब आप बॉडी लेकर आएंगे तो शाम तक मुश्किल से नंबर आ पाएगा....आज तो बस आपके खातिर सुबह से ही आपकी माता जी का नंबर लगा दिया सर....सुबह 8 बजे से ही लाश बनकर लेटा हुआ हूं यहां......
बॉस ने एक बार फिर मांगीलाल को प्यार से देखा और बाकी कर्मचारियों को खा जाने वाली निगाहों से.......