Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

पुस्तक समीक्षा : 'क्रांतिदूत' का लेखन अद्वितीय, अद्भुत कहानियों से कराता है रूबरू

पुस्तक समीक्षा : 'क्रांतिदूत' का लेखन अद्वितीय, अद्भुत कहानियों से कराता है रूबरू
Krantidoot mitramela
 

लेखक- डॉ. मनीष श्रीवास्तव 
 
जो लिखता है इतिहास, न वह उतना विशिष्ट
जो पढ़ता है इतिहास, न गौरव पाता है।
लिखने-वाले, पढ़ने-वाले हैं गौण सभी
गौरवशाली वह, जो इतिहास बनाता है।।
 
अमर संकल्प (आजाद हिंद फौज के एक सैनिक की आत्मकथा से)
 
मित्रमेला में इतिहास पढ़ने वाले हैं, इतिहास लिखने वाले हैं और इतिहास पढ़-लिखकर स्वयं इतिहास में नाम अमर कर जाने वाले तो हैं ही। इतिहास सुनने-पढ़ने-लिखने का बहुत ही रोचक क्रम इस पुस्तक में दिया गया है।
 
पुस्तक की शुरुआत महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर को दो जन्मों की कालापानी की सजा का आदेश प्राप्त होने से होती है और फिर यह कथा पूर्वावलोकन में चली जाती है। इस कथा के मुख्य नायक वीर सावरकर हैं, जिनके जीवन संघर्षों की गाथा कक्षा में सुनाकर भाई परमानंद, आचार्य जुगलकिशोर तथा गुलाम हुसैन साहब क्रांतिकारियों की एक यशस्वी अमर पीढ़ी तैयार कर रहे थे।
 
इस पुस्तक में मित्रमेला, अभिनव भारत (यंग इंडिया सोसाइटी) जैसे क्रांतिकारी संगठनों के बारे में जानकारी भी मिलती है और उनकी स्थापना की अद्भुत कहानियां भी।
 
सावरकर द्वारा विलक्षण तरीके से सन् 1857 के सशस्त्र आंदोलन का इतिहास ढूंढ़ना, पढ़ना और फिर ‘1857 का स्वतंत्रता संग्राम’ नाम से भारत की भावी पीढ़ी के हाथ में एक अद्भुत ग्रंथ संकलित कर रख देने का इतिहास स्वयं में अद्वितीय है। उल्लेखनीय है कि वीर सावरकर की इस पुस्तक से डरे अंग्रेजों ने इसे प्रकाशन से पूर्व ही प्रतिबंधित कर दिया था।
 
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।।
 
सावरकर की ओजस्विता, वाकपटुता, संगठन शक्ति, राजनीति और उनके प्रभाव को यह पुस्तक बहुत अच्छे से दर्शाती है। पुस्तक पढ़ते-पढ़ते स्वतंत्रता संग्राम के अनेक जाने-अनजाने प्रसंगों का रहस्योद्घाटन होता है। विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और उनकी होली जलाने का श्रेय अक्सर गांधीजी के अहिंसक आंदोलन को जाता है लेकिन पुस्तक पढ़ कर पता चलता है कि सबसे पहले विस्तृत स्तर पर विदेशी कपड़ों की होली, वीर सावरकर ने अपने प्रिय नेता और गरम दल के मुख्य नेताओं में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान पर जलाई थी। 
 
साथ ही साथ सावरकर ने उन्हें जनता को एक हृदय स्पर्शी संबोधन भी देने के लिए मना लिया था। विदेशी धरती पर, विशेषकर अंग्रेजों की राजधानी लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना कर क्रांतिकारी गढ़ की नींव रखने वाले श्यामजी कृष्ण वर्मा का अभूतपूर्व योगदान इस पुस्तक में बहुत अच्छी तरह से उकेरा गया है।
 
कक्षा में अध्यापकों और छात्रों द्वारा इतिहास वाचन और वार्तालाप के माध्यम से वीर सावरकर की जीवन कथा का वर्णन किया गया है और इस शैली से कथा रोचक और जीवंत हो उठी है। पाठक प्रारंभ से अंत तक स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विविध पात्रों और घटनाओं के साथ परिचय में आते हैं और कथा के रस में बहते जाते हैं।
 
मेरे मतानुसार क्रांतिदूत श्रृंखला की ये अब तक की सबसे अच्छी पुस्तक है। मुखपृष्ठ, मुद्रण, हार्डकवर, प्रूफ रीडिंग और एडिटिंग सब बेहतर है। संस्मरणात्मक उपन्यास शैली में लिखी गई यह पुस्तक पाठकों के लिए पढ़ेगा इंडिया और अमेजन जैसे ऑनलाइन माध्यमों पर उपलब्ध है।
 
समीक्षक- मनु सिंह @bitty_witty 

webdunia
Krantidoot 
पुस्तक : क्रांतिदूत (भाग 3) मित्रमेला
लेखक: डॉ. मनीष श्रीवास्तव
प्रकाशक : सर्व भाषा ट्रस्ट

 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

बासी मुंह पानी पीने से शरीर को मिलते हैं ये 5 जबरदस्त फायदे