Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

पुस्तक समीक्षा : ज़िंदगी के रंग समेटे एक कविता संग्रह

पुस्तक समीक्षा : ज़िंदगी के रंग समेटे एक कविता संग्रह

फ़िरदौस ख़ान

कविता अपने ख़्यालात, अपने जज़्बात को पेश करने का एक बेहद ख़ूबसूरत ज़रिया है। प्राचीनकाल में कविता में छंद और अलंकारों को बहुत ज़रूरी माना जाता था, लेकिन आधुनिक काल में कविताएं छंद और अलंकारों से आज़ाद हो गईं। कविताओं में छंदों और अलंकारों की अनिवार्यता ख़त्म हो गई और नई कविता का दौर शुरू हुआ। दरअसल, कविता में भाव तत्व की प्रधानता होती है। रस को कविता की आत्मा माना जाता है। कविता के अवयवों में आज भी इसकी जगह सबसे अहम है।

 
आज मुक्त छंद कविताओं की नदियां बह रही हैं। मुक्त छंद कविताओं में पद की ज़रूरत नहीं होती, सिर्फ़ एक भाव प्रधान तत्व रहता है। आज की कविता में मन में हिलोरें लेने वाले जज़्बात, उसके ज़ेहन में उठने वाले ख़्याल और अनुभव प्रभावी हो गए और छंद लुप्त हो गए। मगर इन कविताओं में एक लय होती है, भावों की लय, जो पाठक को इनसे बांधे रखती है। शौकत हुसैन मंसूरी की ऐसी ही कविताओं का एक संग्रह है- 'कर जाऊंगा पार मैं दरिया आग का'। इसे राजस्थान के उदयपुर के अंकुर प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस कविता संग्रह में एक गीत और कुछ क्षणिकाएं भी हैं।

 
बक़ौल शौकत हुसैन मंसूरी हृदय में यदि कोई तीक्ष्ण हूक उठती है। एक अनाम-सी व्यग्रता संपूर्ण व्यक्तित्व पर छाई रहती है और कुछ कर गुज़रने की उत्कट भावना हमारी आत्मा को झिंझोड़ती रहती है। ऐसी परिस्थिति में कितना ही दीर्घ समय का अंतराल हमारी रचनाशीलता में पसर गया हो, तब भी अवसर मिलते ही हृदय में एकत्रित समस्त भावनाएं, विचार और संवेदनाएं अपनी संपूर्णता से अभिव्यक्त होती ही हैं। सिर्फ़ ज्वलंत अग्नि पर जमी हुई राख को हटाने मात्र का अवसर चाहिए होता है, तदुपरांत प्रसव पीड़ा के पश्चात जो अभिव्यक्ति का जन्म होता है, वह सृजनात्मक एवं गहन अनुभूति का सुखद चरमोत्कर्ष होता है। यह काव्य संग्रह ऐसी ही प्रसव पीड़ा के पश्चात जन्मा हुआ अभिव्यक्ति का संग्रह है।

 
उनकी कविताओं में ज़िंदगी के बहुत से रंग हैं। अपनी कविता 'आत्महंता' में जीवन के संघर्ष को बयां करते हुए वे कहते हैं-
 
विपत्तियां क्या हैं
रहती हैं आती-जातीं
सारा जीवन ही यूं
भरा होता है संघर्षों से...
 
बदलते वक़्त के साथ रिश्ते-नाते भी बदल रहे हैं। इन रिश्तों को कवि ने कुछ इस अंदाज़ में पेश किया है-

 
रिश्तों की अपनी-अपनी
होती है दुनिया
कुछ रिश्ते होते हैं दिल के
क़रीब और कुछ सिर्फ़
होते हैं निबाहने की ख़ातिर...
 
कविताओं में मौसम से रंग न हों, ऐसा भला कहीं होता है? दिलकश मौसम में ही कविताएं परवान चढ़ती हैं। कवि ने फागुन के ख़ुशनुमा रंग बिखेरते हुए कहा है-
 
खिल गए हैं फूल सरसों के
पड़ गया है दूध
गेहूं की बाली में
लगे बौराने आम
खट्टी-मीठी महक से बौरा गए वन-उपवन...

 
कवि ने समाज में फैली बुराइयों पर भी कड़ा प्रहार किया है, वह चाहे महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध हों, भ्रष्टाचार हो, सांप्रदायिकता का ज़हर हो, भीड़ द्वारा किसी को भी घेरकर उनका सरेआम बेरहमी से क़त्ल कर देना हो, रूढ़ियों में जकड़ी ज़िदगियां हों या फिर दरकती मानवीय संवेदनाएं हों। सभी पर कवि ने चिंतन किया है। इतना ही नहीं, कवि ने निराशा के इस घने अंधकार में भी आस का एक नन्हा दीया जलाकर रखा है। कवि का कहना है-
 
 
ज़िंदगी में फैले अंधेरे को
मिटाने का आत्मविश्वास इंसानों को
स्वयं पैदा करना होता है...
 
बहरहाल, भावनाओं के अलावा काव्य सृजन के मामले में भी कविताएं उत्कृष्ट हैं। कविता की भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि ने कम से कम शब्दों में प्रवाहपूर्ण सारगर्भित बात कही है। कविताओं में शिल्प सौंदर्य है। कवि को अच्छे से मालूम है कि उसे अपनी भावनाओं को किन शब्दों में और किन बिम्बों के माध्यम से प्रकट करना है और यही बिम्ब विधान पाठक को स्थायित्व प्रदान करते हैं। कविता में चिंतन और विचारों को सहज और सरल तरीक़े से पेश किया गया है जिससे कविता का अर्थ पाठक को सहजता से समझ आ जाता है। पुस्तक का आवरण सूफ़ियाना है, जो इसे आकर्षक बनाता है। काव्य प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा कविता संग्रह है।

 
समीक्ष्य कृति : कर जाऊंगा पार मैं दरिया आग का
कवि : शौकत हुसैन मंसूरी
प्रकाशक : अंकुर प्रकाशन, उदयपुर (राजस्थान)
पेज : 112
मूल्य : 150 रुपए
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मकर संक्रांति पर इस सूर्य कवच से करें अपनी 7 पीढ़ियों की रक्षा...